कोंडागांव, 14 जून। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में शुक्रवार की शाम एक दर्दनाक हादसे में आकाशीय बिजली गिरने से 17 वर्षीय किशोरी और एक बछड़े की मौत हो गई। यह घटना फरसगांव ब्लॉक के अंतर्गत सालेभाट गांव में हुई, जहां मोना मरकाम नाम की लड़की शाम करीब 6 बजे बाड़ी में मवेशी चरा रही थी। इसी दौरान आसमान में गरज-चमक के साथ बिजली गिरी, जिससे मौके पर ही दोनों की जान चली गई।
घटना के बाद गांव में शोक का माहौल है। स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर परिवार को प्राथमिक सहायता और मुआवजे का आश्वासन दिया है।
बस्तर में फिर सक्रिय हो सकता है मानसून, रायपुर में 16-17 जून तक पहुंचने की संभावना
इस बीच मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में प्रदेश के कई हिस्सों में गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना है। विभाग ने शुक्रवार को 14 जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है, जिसमें बिजली गिरने की आशंका जताई गई है। अनुमान है कि कुछ क्षेत्रों में 50 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बस्तर में ठहरा मानसून फिर से सक्रिय हो रहा है। यदि सिस्टम ठीक तरह से विकसित हुआ तो 16 या 17 जून तक मानसून राजधानी रायपुर तक पहुंच सकता है।
प्रदेश में अब तक सामान्य से 51% कम बारिश, किसानों की चिंता बढ़ी
जून महीने में अब तक छत्तीसगढ़ के 33 में से 27 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। औसत के मुकाबले पूरे प्रदेश में 51% बारिश की कमी देखी जा रही है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हो सकती है, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मई में हुई थी रिकॉर्ड बारिश
गौरतलब है कि मई महीने में मानसून पूर्व गतिविधियों के चलते प्रदेश में औसत से 374% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई थी। 22 से 28 मई के बीच करीब 53.51 मिमी बारिश हुई थी। लेकिन जून के पहले पखवाड़े में मानसून की गति धीमी पड़ी और अब तक ठहरा हुआ है।
बिजली गिरने से बचाव के लिए मौसम विभाग की एडवाइजरी
मौसम विभाग ने लोगों को चेतावनी देते हुए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतने को कहा है:
- गरज-चमक सुनाई दे तो तुरंत पक्के भवन या सुरक्षित स्थान पर शरण लें।
- पेड़, बिजली के खंभे, खुले मैदान या जल स्रोतों के पास न जाएं।
- मोबाइल, टीवी या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल न करें।
- खुले में हों तो जमीन पर उकड़ूं बैठ जाएं, लेटना नहीं चाहिए।
मानसून रहेगा लंबा, 145 दिनों तक बने रहने की संभावना
इस बार मानसून समय से पहले 24 मई को केरल पहुंच गया था। अगर इसके लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर ही रहती है, तो मानसून की कुल अवधि 145 दिनों की हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून ब्रेक की स्थिति न बनने पर इसकी अवधि खेती और जलस्तर के लिए लाभदायक हो सकती है।