कोरबा, 13 जून – कोरबा मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही एक 25 वर्षीय एमबीबीएस छात्रा ने शरीर में लगातार हो रहे दर्द और मानसिक तनाव से परेशान होकर डिप्रेशन की दवा का अत्यधिक सेवन कर लिया। दवा का अधिक मात्रा में सेवन करने से उसकी हालत गंभीर हो गई है। फिलहाल छात्रा का इलाज मेडिकल कॉलेज के आईसीयू वार्ड में चल रहा है।
जानकारी के अनुसार, छात्रा रायगढ़ जिले के छाल क्षेत्र की निवासी है और पिछले दो वर्षों से कोरबा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकेंड ईयर की छात्रा है। वह सुभाष चौक स्थित छात्रावास में रह रही थी। बीते कुछ दिनों से वह शारीरिक पीड़ा और चिड़चिड़ापन की शिकायत से जूझ रही थी। इसी तनाव के चलते उसने 13 जून को पैरोक्सेटीन नामक एंटी-डिप्रेसेंट दवा की अधिक मात्रा खा ली।
डॉक्टरों के अनुसार, पैरोक्सेटीन एक संवेदनशील दवा है, जो डिप्रेशन और एंग्जाइटी डिसऑर्डर के इलाज में इस्तेमाल होती है। यह दवा सेरोटोनिन नामक रसायन को मस्तिष्क में संतुलित करती है। लेकिन इसका अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
छात्रा की बिगड़ती हालत को देखते हुए उसे तुरंत मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। प्रारंभिक इलाज के बाद उसे आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया है। उसकी हालत अभी स्थिर बताई जा रही है।
इधर, घटना की जानकारी मिलते ही छात्रा के परिजन अस्पताल पहुंच गए हैं। जिला अस्पताल चौकी प्रभारी दाऊद कुजुर ने छात्रा का बयान दर्ज किया है। पूछताछ में छात्रा ने बताया कि उसने लगातार हो रहे शारीरिक दर्द से राहत पाने के लिए यह दवा ली थी। उसे दवा के असर और खतरों की जानकारी थी, फिर भी उसने लापरवाहीपूर्वक इसका सेवन कर लिया।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। छात्रा की मानसिक स्थिति और उसके द्वारा दवा के अधिक सेवन के पीछे की वजहों की जांच के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
चिकित्सकों का कहना है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए। कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेनी चाहिए, खासकर मानसिक रोगों से जुड़ी संवेदनशील दवाएं। युवाओं में बढ़ते तनाव और अवसाद की प्रवृत्ति को देखते हुए मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
कॉलेज प्रशासन सतर्क
मामले को गंभीरता से लेते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने छात्रावास में काउंसलिंग सुविधा बढ़ाने और छात्रों की मानसिक स्थिति पर नियमित निगरानी की योजना बनाई है। छात्रा के सहपाठियों और हॉस्टल वार्डन से भी जानकारी ली जा रही है।
यह घटना छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य की बिगड़ती स्थिति को उजागर करती है। विशेषज्ञों और संस्थानों का मानना है कि समय रहते परामर्श और सही देखभाल से ऐसे मामलों से बचा जा सकता है।