धमतरी, छत्तीसगढ़ – जिले के प्रसिद्ध नरहरा जलप्रपात में सोमवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। एडवेंचर के लिए लगाए गए एक झूले के टूट जाने से उस पर सवार 12 पर्यटक नीचे गिर पड़े। सौभाग्य से इस घटना में कोई गंभीर घायल नहीं हुआ, हालांकि कुछ लोगों को हल्की चोटें जरूर आईं। हादसे के बाद से स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार, नरहरा जलप्रपात धमतरी जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां बड़ी संख्या में सैलानी प्रतिवर्ष प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने पहुंचते हैं। पर्यटकों की रुचि को देखते हुए कुछ महीने पहले ही यहां एक एडवेंचर झूला स्थापित किया गया था, जिसे लोहे के पोल और रस्सियों की मदद से मजबूती से लगाया गया था। लेकिन लगातार हो रही बारिश और रखरखाव की कमी ने इस एडवेंचर को एक खतरनाक अनुभव में बदल दिया।
सोमवार को जब मौसम सुहावना था, तब आसपास के क्षेत्रों से पर्यटक नरहरा पहुंचे थे। दोपहर के समय झूले पर एक साथ 12 लोग सवार हो गए। अनुमान लगाया जा रहा है कि झूले की क्षमता से अधिक भार पड़ने के कारण उसका संतुलन बिगड़ गया और लोहे का एक पोल जड़ से उखड़ गया। इसी के साथ झूला भी नीचे आ गिरा, और उस पर सवार सभी पर्यटक एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए।
स्थानीय लोगों और अन्य पर्यटकों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया। गनीमत रही कि किसी को गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन कुछ पर्यटकों को मामूली खरोंचें और झटके लगे हैं। घटना के बाद से झूले के आसपास की अन्य व्यवस्थाओं को भी फिलहाल बंद कर दिया गया है।
इस घटना ने एक बार फिर पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा मानकों और निरीक्षण व्यवस्था की पोल खोल दी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि झूले की नियमित जांच नहीं की जा रही थी और न ही वहां कोई सुरक्षा गार्ड मौजूद था। बारिश के मौसम में ऐसे संरचनाओं की मजबूती की नियमित जांच आवश्यक होती है, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया।
जलप्रपात क्षेत्र में बनाए गए अन्य झूले और व्यू प्वाइंट की भी हालत दयनीय बताई जा रही है। कई स्थानों पर रेलिंग जर्जर हो चुकी हैं और फर्श फिसलन भरा हो गया है। बावजूद इसके वहां किसी तरह की चेतावनी या सुरक्षा संकेतक नहीं लगाए गए हैं।
इस मामले को लेकर पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है। झूले की मरम्मत और सुरक्षा मानकों की पुनः समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए नए दिशा-निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि एडवेंचर एक्टिविटी वाले पर्यटन स्थलों पर समय-समय पर तकनीकी जांच, भार वहन क्षमता का निर्धारण और स्टाफ की तैनाती अनिवार्य होनी चाहिए। इसके साथ ही पर्यटकों को भी जागरूक रहना चाहिए कि वे निर्धारित नियमों का पालन करें।
पर्यटन स्थल पर मौजूद कुछ पर्यटकों ने बताया कि झूला दिखने में मजबूत जरूर था, लेकिन उस पर किसी तरह की चेतावनी पट्टिका या अधिकतम भार की जानकारी नहीं दी गई थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि व्यवस्थाएं केवल दिखावे तक सीमित हैं।
बहरहाल, यह घटना एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। सौभाग्य से इस बार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन अगर यही लापरवाही आगे भी जारी रही, तो भविष्य में यह स्थल पर्यटकों के लिए खतरनाक बन सकता है।
स्थानीय प्रशासन से उम्मीद जताई जा रही है कि अब वे जलप्रपात क्षेत्र की संपूर्ण संरचनाओं की तकनीकी जांच कराकर सुधार कार्य करेंगे और एडवेंचर झूलों को दोबारा तभी शुरू किया जाएगा जब वे पूरी तरह सुरक्षित हों। साथ ही, स्थायी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और चेतावनी संकेतों की व्यवस्था भी जरूरी है, ताकि पर्यटक न केवल प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लें, बल्कि सुरक्षित भी रहें।