दुर्ग, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में हाई टेंशन पावर ट्रांसमिशन टावर परियोजना के लिए जमीन देने वाले किसान अब मुआवजे के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। सीएसपी-टीसीएल (छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड) द्वारा दो वर्ष पूर्व भूमि अधिग्रहण के बाद भी किसानों को आज तक न तो भूमि का मुआवजा मिला है और न ही फसल बर्बादी का कोई हर्जाना। अब किसान आंदोलन की राह पर हैं।
19 गांवों के किसान प्रभावित
यह मामला दुर्ग ब्लॉक के लगभग 19 गांवों से जुड़ा है, जहां पर 400 केवी हाई टेंशन ट्रांसमिशन टावर लगाए गए हैं। यह टावर दुर्ग के धमधा क्षेत्र के मेडेसरा पावर स्टेशन से धमतरी तक बनाए गए हैं। इस महत्वाकांक्षी बिजली परियोजना का वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिलासपुर दौरे के दौरान किया गया था। परंतु जिस जमीन पर ये टावर खड़े किए गए, वहां के किसान आज तक उचित मुआवजे की राह देख रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 1000 किसानों की जमीन इस परियोजना के तहत अधिग्रहित की गई थी और करोड़ों रुपये की मुआवजा राशि अब तक लंबित है। किसान बताते हैं कि न केवल उनकी जमीन गई, बल्कि टावर निर्माण के दौरान उनकी खड़ी फसलें भी नष्ट हो गईं, जिसका भी कोई मुआवजा नहीं दिया गया।
किसानों का दर्द : “न जमीन की कीमत मिली, न फसल का मुआवजा”
नगपुरा गांव के किसान संदीप कुमार जैन ने बताया कि उनके गांव के लगभग 150 किसानों की खेती प्रभावित हुई है। कुल मुआवजा राशि लगभग 2 करोड़ 65 लाख रुपए आंकी गई है। लेकिन पिछले एक वर्ष से यह राशि वितरण की प्रक्रिया में अटकी हुई है।
एक अन्य किसान, रविंद्र कुमार सिन्हा ने बताया, “हमें बताया गया था कि सरकार अधिग्रहित जमीन का चार गुना मुआवजा देती है, लेकिन यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि किस आधार पर हमारी जमीन की कीमत तय की गई है। हमने कई बार कलेक्टर और आयुक्त से मिलकर गुहार लगाई लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला।”
कृषक रूपेंद्र रिगरी, कोमल धनकर, खिलेंद्र साहू, परदेशी निषाद, बिसौहा राम धनकर सहित अन्य किसानों ने भी यही शिकायत की कि वे बार-बार अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। किसानों का आरोप है कि जब टावर निर्माण का कार्य शुरू हुआ था, तब उन्हें अपनी फसलें काटने तक का समय नहीं दिया गया।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया : आश्वासन फिर से आश्वासन
दुर्ग कलेक्टर अभिजीत सिंह ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें किसानों की समस्या की जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि उन्होंने तत्काल एसडीएम से इस मामले में बातचीत की है और मामले की जानकारी प्राप्त होते ही मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
वहीं, दुर्ग संभाग के कमिश्नर सत्यनारायण राठौर जब गांव का दौरा करने पहुंचे थे, तब किसानों ने उन्हें भी अपनी परेशानी से अवगत कराया था। लेकिन अभी तक कमिश्नर कार्यालय से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
आंदोलन की चेतावनी
लगातार हो रहे अनसुने आश्वासनों और प्रशासनिक उदासीनता से तंग आ चुके किसान अब जन आंदोलन की तैयारी में हैं। किसानों ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द मुआवजा राशि नहीं दी गई, तो वे जिला मुख्यालय में धरना प्रदर्शन करेंगे और बड़े स्तर पर आंदोलन खड़ा करेंगे।