रायपुर बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में राजस्व विभाग के कामकाज पर बड़ा असर देखने को मिल रहा है क्योंकि प्रदेशभर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार 28 जुलाई से तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं। यह आंदोलन छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले आयोजित किया गया है, जिसमें अफसर अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार से जवाब मांग रहे हैं। आंदोलन के पहले दिन जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया, वहीं दूसरे दिन संभागीय मुख्यालयों में और तीसरे दिन रायपुर में प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन होगा।
मुख्य मांगें क्या हैं?
संघ की ओर से जिन प्रमुख मांगों को लेकर विरोध जताया जा रहा है, उनमें दफ्तरों में संसाधनों की कमी, लंबित पदोन्नतियों का निपटारा, तहसील कार्यालयों की मरम्मत और निर्माण, वाहन सुविधा, भत्तों में संशोधन, संरचनात्मक सुधार, और समान कार्य के लिए समान वेतन जैसी बातें शामिल हैं।
संघ का कहना है कि उन्होंने कई बार शासन से संवाद किया और मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा लेकिन बार-बार की बातचीत के बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। अब वे आंदोलन के जरिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।
कामकाज पर व्यापक असर
तहसील कार्यालयों में आम जनता से जुड़ी कई महत्वपूर्ण सेवाएं इस हड़ताल के चलते ठप हो गई हैं। इनमें शामिल हैं:
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जमीन से जुड़े कार्य जैसे नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन
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खसरा-खतौनी की प्रतिलिपि
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जाति, आय और निवास प्रमाणपत्र का सत्यापन
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न्यायालयीन मामलों की सुनवाई
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को दस्तावेज़ों की आवश्यकता अधिक होती है, जिससे ग्रामीण जनता सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है।
“संसाधन नहीं तो काम नहीं” की तर्ज पर प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने “संसाधन नहीं तो काम नहीं” जैसे नारे लगाते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की। अफसरों का कहना है कि यदि उन्हें बुनियादी संसाधन और सुविधाएं नहीं दी जातीं तो कार्य करना बेहद कठिन हो जाता है।
चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति
संघ द्वारा आंदोलन को तीन चरणों में बांटा गया है:
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28 जुलाई: जिला मुख्यालयों में धरना
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29 जुलाई: संभागीय मुख्यालयों में प्रदर्शन
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30 जुलाई: रायपुर में प्रदेश स्तरीय धरना
संघ ने स्पष्ट किया है कि यदि इन तीन दिनों में सरकार द्वारा मांगों पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो वे अगला चरण और उग्र करेंगे, जिसमें अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी भी दी गई है।
सरकार की प्रतिक्रिया अब तक शांत
अब तक राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इससे अफसरों में असंतोष और बढ़ गया है। संघ के अनुसार, यदि समय रहते शासन कोई कदम नहीं उठाता तो इससे पूरे प्रदेश के राजस्व प्रशासन पर बुरा असर पड़ेगा।
आम जनता की मुश्किलें बढ़ीं
आम लोगों का कहना है कि पहले से ही सरकारी कार्यालयों में फाइलें लटकी रहती हैं, अब इस हड़ताल के चलते और भी देरी होने की आशंका है। एक किसान ने बताया कि उसका सीमांकन कार्य पिछले महीने से लंबित है और अब हड़ताल के चलते वह दोबारा टल जाएगा।