छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रविवार देर रात एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जहां मस्तूरी-रायपुर नेशनल हाईवे पर तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने सड़क पर बैठे मवेशियों के झुंड को कुचल डाला। इस घटना में 18 गायों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि करीब 5 मवेशी गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद वाहन चालक फरार हो गया। यह हादसा चकरभाठा थाना क्षेत्र अंतर्गत कड़ार-सारधा चौक के पास हुआ।
घायल मवेशियों को इलाज, मृतकों का किया अंतिम संस्कार
सोमवार सुबह जब स्थानीय गौसेवकों को घटना की जानकारी मिली तो वे भारी आक्रोश के साथ मौके पर पहुंचे। घायल मवेशियों को तत्काल उपचार के लिए भेजा गया, वहीं मृत मवेशियों को सड़क किनारे गड्ढा खोदकर अंतिम संस्कार किया गया। गौसेवकों ने इस मामले की शिकायत चकरभाठा थाने में दर्ज कराई और आरोपी वाहन चालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक न तो वाहन का कोई सुराग मिल पाया है और न ही चालक की पहचान हो सकी है।
प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल
यह कोई पहली घटना नहीं है। जिले में पहले भी नेशनल हाईवे पर मवेशियों को रौंदने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाने में असफल रहा है। कलेक्टर संजय अग्रवाल द्वारा पिछले 15 महीनों से मवेशियों को सड़क से हटाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए जा रहे हैं। यहां तक कि पशुपालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी जारी हुए, लेकिन जमीन पर इसका असर न के बराबर है।
पूर्व में हुए ऐसे ही हादसे
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सिरगिट्टी थाना क्षेत्र के सिलपहरी-धुमा हाईवे पर ट्रक ने 16 मवेशियों को रौंदा था।
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मस्तूरी-सीपत मार्ग पर भी इसी तरह ट्रक की चपेट में आकर कई मवेशियों की जान चली गई थी।
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रतनपुर-पेंड्रा मार्ग पर तेज रफ्तार वाहन ने 14 मवेशियों को कुचल दिया था।
इन घटनाओं के बावजूद न तो प्रशासन ने स्थायी समाधान खोजा और न ही सड़क सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए।
हाईकोर्ट के आदेश का पालन अधूरा
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य शासन को सख्त निर्देश दिए थे कि सड़कों पर घूम रहे मवेशियों को हटाया जाए और ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने प्रशासन से निगरानी रखने की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद शाम ढलते ही तखतपुर, मुंगेली, कोटा रोड, मस्तूरी और चकरभाठा जैसे क्षेत्रों में मवेशियों का जमावड़ा आम हो चला है।
समाधान की मांग
स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और गौसेवकों का कहना है कि प्रशासन को सिर्फ बैठकों तक सीमित न रहकर मैदान में उतरकर कार्रवाई करनी चाहिए। गौपालकों को जागरूक करने, दंडात्मक कार्रवाई करने और सड़कों पर मवेशियों की निगरानी के लिए टीम तैनात करने जैसे कदम आवश्यक हैं।