कोहका सहकारी समिति में 5.88 लाख रुपये के गबन का मामला: आरोपी पूर्व सहायक प्रबंधक 12 घंटे में गिरफ्तार


 

दुर्ग, छत्तीसगढ़। कृषक सेवा सहकारी समिति कोहका में बड़े वित्तीय गबन का मामला सामने आया है। समिति में तैनात रहे पूर्व सहायक प्रबंधक डाकवर धुर्वे द्वारा करीब 5 लाख 88 हजार 202 रुपये के गबन का खुलासा हुआ है। सुपेला थाना पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए महज 12 घंटे के भीतर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी के पास से ₹26,000 कीमत का एक आईफोन भी जब्त किया है, जिसे उसने गबन की रकम से खरीदा था।

शिकायत और खुलासा

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कृषक सेवा सहकारी समिति कोहका के प्राधिकृत अधिकारी ध्रुव कुमार गुप्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि आरोपी डाकवर धुर्वे ने 20 जुलाई 2023 से 24 जून 2024 के बीच प्रभारी सहायक प्रबंधक के पद पर रहते हुए संस्था की राशि में हेराफेरी की।

शिकायत के अनुसार, आरोपी ने दीपावली उपहार, ऑडिटर भुगतान, डेमो मद, सिलक अंतरण और अन्य योजनाओं के नाम पर तैयार किए गए भुगतान पत्रकों में स्वयं को ही प्राधिकृत अधिकारी और प्राप्तकर्ता के रूप में दर्शाया और किस्तों में ₹5,88,202 की राशि निकालकर निजी उपयोग में खर्च कर दी। यह रकम सीधे समिति के हितग्राहियों और कार्यों के लिए निर्धारित थी, जिसे धोखाधड़ी से निकाल लिया गया।

पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए सुपेला थाना की स्मृति नगर चौकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत अपराध क्रमांक 824/2025 पंजीबद्ध किया गया। सुपेला थाना प्रभारी विजय यादव और स्मृति नगर चौकी प्रभारी गुरुविंदर सिंह संधु के निर्देशन में विशेष पुलिस टीम का गठन किया गया, जिसने जांच में तेजी दिखाई।

विशेष टीम को सूचना मिली कि आरोपी डाकवर धुर्वे दुर्ग रेलवे स्टेशन से फरार होने की फिराक में है। इस इनपुट पर पुलिस ने तुरंत दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दबिश दी और आरोपी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में हुआ खुलासा

पुलिस पूछताछ में आरोपी ने यह स्वीकार किया कि उसने गबन की गई राशि का उपयोग आईफोन खरीदने सहित अन्य निजी खर्चों में किया है। आरोपी के पास से ₹26,000 कीमत का आईफोन जब्त किया गया है। इसके अतिरिक्त पुलिस अब आरोपी द्वारा शेष राशि के उपयोग की जानकारी जुटाने में लगी हुई है।

आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया

गिरफ्तारी के बाद आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। पुलिस अब मामले की आगे की जांच कर रही है, जिसमें आरोपी द्वारा अन्य संपत्तियों की खरीद, बैंक ट्रांजेक्शन और संबंधियों के माध्यम से रकम के हस्तांतरण की भी जांच की जा रही है।

पुलिस टीम की सराहनीय भूमिका

इस त्वरित कार्रवाई में स्मृति नगर चौकी प्रभारी उप निरीक्षक गुरुविंदर सिंह संधु, आरक्षक अनिकेत चंद्राकर, आरक्षक कौशलेन्द्र सिंह और कमल नारायण की भूमिका उल्लेखनीय रही। पुलिस अधीक्षक ने भी टीम की तत्परता की सराहना की और भरोसा जताया कि शेष रकम की रिकवरी और पूरे गबन तंत्र का खुलासा जल्द किया जाएगा।

कोऑपरेटिव सिस्टम पर सवाल

यह मामला सामने आने के बाद एक बार फिर सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठने लगे हैं। कृषकों की हितैषी मानी जाने वाली समितियों में इस प्रकार के गबन न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि किसानों के भरोसे को भी तोड़ते हैं।

जांच जारी

फिलहाल पुलिस आरोपी के अन्य वित्तीय लेनदेन और बैंक खातों की जांच कर रही है। साथ ही यह भी जांचा जा रहा है कि क्या इस गबन में अन्य किसी कर्मचारी या अधिकारी की संलिप्तता रही है। समिति के आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट और दस्तावेजों को भी खंगाला जा रहा है।


यह मामला न केवल एक गबन का, बल्कि एक बड़ी लापरवाही और सिस्टम की कमजोरी का आईना है, जिससे प्रशासन को सबक लेकर समितियों के कार्यों की निगरानी और मजबूत करनी होगी।

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