ड्रोन से निगरानी, जंगल से रणनीति: नक्सलियों की नई चाल पर NIA की सख्त नजर


 

सुकमा/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलियों की गतिविधियां एक बार फिर चिंता का विषय बन गई हैं। अब तक पारंपरिक हमलों के लिए कुख्यात नक्सली संगठन ने टेक्नोलॉजी की राह पकड़ ली है। सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में खुलासा किया है कि नक्सली ड्रोन के माध्यम से सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर निगरानी रख रहे हैं। बताया जा रहा है कि नक्सलियों के पास करीब 10 ड्रोन हैं, जिनकी रेंज 3 किलोमीटर तक है।

सात साल बाद पुलिस को मिली पुख्ता जानकारी

सुकमा पुलिस ने फरवरी 2025 में एक ऐसे ही ड्रोन को बरामद किया है, जो नक्सलियों के ठिकाने पर पाया गया। सुकमा एसपी किरण चव्हाण के अनुसार यह ड्रोन गुंडराजगुडेम जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान मिला, जहां कई दिनों से संदिग्ध गतिविधियां देखी जा रही थीं। यह पहला मौका है जब पुलिस के हाथ कोई ड्रोन लगा है, जो नक्सलियों के पास मौजूद था।

सिर्फ निगरानी के लिए इस्तेमाल

बरामद किया गया ड्रोन सामान्य फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी किस्म का है, जिसे कार्यक्रमों में उपयोग किया जाता है। इसकी ले जाने की क्षमता सीमित है और यह हथियार या विस्फोटक नहीं ले जा सकता। इसके जरिए नक्सली सुरक्षा बलों की संख्या का आकलन कर रणनीति बना रहे हैं – अगर कम जवान हैं, तो हमला कर देते हैं, ज्यादा हों तो पीछे हट जाते हैं।

ड्रोन सप्लाई और ट्रेनिंग का खुलासा

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की जांच से पता चला है कि नक्सलियों को ड्रोन की सप्लाई पिछले सात वर्षों से की जा रही थी। 29 जून 2025 को NIA ने दिल्ली से विशाल सिंह नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार किया, जिसने पूछताछ में यह स्वीकार किया कि उसने तेलंगाना, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के माओवादियों को ड्रोन दिए और प्रशिक्षण भी दिया।

विशाल सिंह बिहार के छकरबंदा-पचरुखिया वन क्षेत्र में माओवादियों को ड्रोन सप्लाई करता था और उनका संचालन सिखाता था। जांच में यह भी सामने आया कि वह उत्तरी क्षेत्र ब्यूरो को टेक्निकल सपोर्ट देने की जिम्मेदारी निभा रहा था।

तेजी से बढ़ता खतरा, गहराई से चल रही जांच

NIA के अधिकारियों का मानना है कि नक्सलियों के पास एक नहीं, बल्कि कम से कम 10 ड्रोन हैं, जो विभिन्न ज़ोनल कमेटियों के पास हो सकते हैं। एजेंसी इस बात की भी जांच कर रही है कि किन इलाकों में ये ड्रोन सक्रिय रूप से इस्तेमाल हो रहे हैं और किस स्तर की ट्रेनिंग नक्सलियों को दी गई है।

डिजिटल उपकरणों की जांच जारी है और एजेंसी को उम्मीद है कि जल्द ही इस नेटवर्क के पीछे की पूरी रणनीति सामने आ सकेगी। इससे पहले अगस्त 2024 में अजय सिंघल उर्फ अमन को भी NIA ने गिरफ्तार किया था, जो पंजाब और हरियाणा में नक्सल नेटवर्क चला रहा था।

ड्रोन दिखे थे पहले भी, पर पुष्टि नहीं

2019, 2020 और 2023 में नक्सल क्षेत्रों में ड्रोन देखे जाने की खबरें सामने आई थीं, लेकिन तब तक अधिकारियों द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई थी। 2019 में केंद्र सरकार ने ऐसे ड्रोन दिखने पर तुरंत उन्हें मार गिराने के निर्देश भी दिए थे।

नक्सलियों के खिलाफ बढ़ा अभियान

बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच 426 से अधिक नक्सली मारे गए हैं, जिनमें से 136 महिलाएं हैं। सबसे अधिक मुठभेड़ दंडकारण्य क्षेत्र में हुई, जहां 281 नक्सली ढेर हुए।

नक्सल संगठन द्वारा जारी एक बुकलेट के अनुसार, पिछले वर्ष पोलित ब्यूरो के 4 सदस्य, स्टेट कमेटी के 16 सदस्य और महासचिव बसवा राजू मारे जा चुके हैं।

नतीजा: टेक्नोलॉजी से भी बच नहीं पा रहे नक्सली

ड्रोन जैसी तकनीक अपनाने के बावजूद, नक्सलियों की गतिविधियों पर शिकंजा कसता जा रहा है। NIA, राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के समन्वय से इन गतिविधियों को रोकने और पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।


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