भिलाई में महिला से 12.5 लाख की साइबर ठगी, फर्जी अफसर बनकर 5 दिन तक रखा ‘डिजिटल अरेस्ट’


 

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई में साइबर अपराधियों ने एक महिला को झांसा देकर 12.5 लाख रुपये की ठगी कर ली। यह मामला न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे साइबर गिरोह अब तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल करके लोगों को डराकर उनकी मेहनत की कमाई हड़प रहे हैं।

भिलाई नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली शोभा झा को 1 जुलाई 2025 को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई और क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उसने महिला पर मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए और आईपीसी की धाराओं का हवाला देते हुए जेल भेजने की धमकी दी।

पांच दिन तक रखा गया डिजिटल अरेस्ट

दुर्ग पुलिस प्रवक्ता पद्मश्री तवर ने जानकारी दी कि कॉल करने वाले ठगों ने महिला को यह विश्वास दिलाया कि यदि वह सहयोग नहीं करेगी तो तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसी डर से महिला पांच दिन तक अपने ही घर में कैद जैसी स्थिति में रही। ठगों ने इस दौरान उससे लगातार संपर्क बनाए रखा और उसकी जमा पूंजी तथा गहने गिरवी रखवाए। इतना ही नहीं, महिला के पेंशन खाते से भी रकम निकलवाकर लगभग 12.5 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए।

तकनीकी जांच में मिला बड़ा सुराग

घटना की शिकायत के बाद एसीसीयू और भिलाई नगर थाना की टीम ने मिलकर जांच शुरू की। पहले से गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद फैजल अहमद से पूछताछ की गई। उसी दौरान मेरठ निवासी सुहैल का नाम सामने आया। जांच में खुलासा हुआ कि सुहैल कॉल कन्वर्टर मशीन का इस्तेमाल करके गिरोह को तकनीकी मदद प्रदान करता था। वह इस मशीन में लोकल सिम लगाकर कॉल्स को बेचता था, ताकि पीड़ितों को यह कॉल स्थानीय नंबर से आया हुआ लगे।

क्रिप्टोकरेंसी और हवाला का जाल

पुलिस ने यह भी बताया कि ठगी की रकम सीधे खातों में न रहकर क्रिप्टोकरेंसी में बदल दी जाती थी। गिरोह USDT क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से रकम को सुरक्षित करता और बाद में हवाला नेटवर्क के जरिए इसे भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट कर लेता। इस तरह से धन का पता लगाना और कठिन हो जाता। आरोपी माइक्रोसॉफ्ट टीम्स एप के जरिए अपने मुख्य सरगनाओं से जुड़ा रहता था और वहीं से निर्देश प्राप्त करता था।

मेरठ से आरोपी की गिरफ्तारी

तकनीकी जांच और पूछताछ के बाद पुलिस टीम मेरठ पहुंची और आरोपी सुहैल को गिरफ्तार किया। माना जा रहा है कि यह गिरोह देश के कई हिस्सों में सक्रिय है और अलग-अलग राज्यों में लोगों को इसी तरह निशाना बना चुका है। पुलिस अब गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है और वित्तीय लेनदेन की कड़ी से कड़ी जोड़ने की कोशिश कर रही है।

बढ़ते साइबर अपराध और सतर्कता की जरूरत

यह घटना एक बार फिर चेतावनी देती है कि अज्ञात नंबर से आने वाले कॉल पर आंख मूंदकर भरोसा करना बेहद खतरनाक हो सकता है। खासकर तब जब कॉल करने वाला खुद को किसी बड़ी जांच एजेंसी या पुलिस का अधिकारी बताकर डराने की कोशिश करे। पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध कॉल की सूचना तुरंत निकटतम थाने या साइबर सेल को दें और कभी भी अपने बैंक अकाउंट, पेंशन या निवेश से जुड़ी जानकारी साझा न करें।

पीड़िता की स्थिति

शोभा झा, जो भिलाई सेक्टर-7 की निवासी हैं, ठगी का शिकार होने के बाद मानसिक रूप से बेहद आहत हैं। उनके परिवार के सदस्य भी इस घटना से सदमे में हैं। फिलहाल पुलिस ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि जांच तेजी से चल रही है और अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस की सख्त कार्रवाई

दुर्ग पुलिस ने स्पष्ट किया है कि साइबर अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस के मुताबिक ऐसे गिरोह आम लोगों की जानकारी के अभाव और डर का फायदा उठाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस मामले के बाकी आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।


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