छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सरकारी नौकरी का लालच देकर लाखों की ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है। आरोपियों ने खुद को बड़े अधिकारियों से जुड़ा हुआ बताकर एक युवक से 15 लाख रुपए ऐंठ लिए और उसे फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर तक दे दिया। इस पूरे मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि महिला आरोपी की तलाश जारी है।
मामला मोहन नगर थाना क्षेत्र का है। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी का नाम हितेश सिन्हा (30) है, जो दुर्ग का रहने वाला है। वहीं दूसरी आरोपी नीलिमा बसंती मिंज रायपुर की निवासी है। दोनों ने मिलकर उरला के अंबेडकर नगर में रहने वाले पीड़ित रूपेश कुमार (30) को पटवारी की सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया।
जानकारी के मुताबिक, साल 2022 में दुर्ग में रूपेश की मुलाकात हितेश और नीलिमा से हुई थी। बातचीत के दौरान दोनों ने दावा किया कि उनकी राज्य के उच्च अधिकारियों से अच्छी पहचान है और वह राजस्व विभाग में पटवारी की नौकरी दिलवा सकते हैं। इस भरोसे के चलते रूपेश ने अलग-अलग तारीखों में कई बार रकम दी। 2 मार्च 2022 को 2 लाख, 14 मार्च को 3 लाख, 13 अप्रैल को 3 लाख, 1 मई को 1 लाख और 10 अगस्त को 2 लाख रुपए नकद और अन्य माध्यम से आरोपियों को दिए गए।
इसके बाद 2023 में नीलिमा ने एक और चाल चली। उसने पीड़ित को राज्य शासन के सचिव स्तर के अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर और सरकारी सील लगे दस्तावेज दिखाए। इन दस्तावेजों को देख रूपेश को और भरोसा हुआ और उसने नीलिमा के कहने पर 4 लाख रुपए नेट बैंकिंग के जरिए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद ठगों ने स्पीड पोस्ट के माध्यम से उसे एक फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर भी भेजा, जिसमें उसकी नियुक्ति का उल्लेख था। लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई और आरोपियों ने टालमटोल शुरू कर दी।
जब लंबे समय तक कोई प्रगति नहीं हुई और संपर्क करने पर भी केवल बहाने मिलते रहे, तब पीड़ित को संदेह हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुका है। अंततः 10 अगस्त 2025 को रूपेश ने मोहन नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 11 अगस्त को आरोपी हितेश सिन्हा को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में हितेश ने नीलिमा का नाम भी उजागर किया और बताया कि उसने पूरे मामले में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
वर्तमान में पुलिस नीलिमा की तलाश कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला गंभीर है क्योंकि इसमें फर्जी दस्तावेज, सरकारी सील और हस्ताक्षरों का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रकार की ठगी न केवल आर्थिक अपराध है बल्कि सरकारी व्यवस्था में आम नागरिकों के भरोसे को भी नुकसान पहुंचाती है।
सीएसपी सत्य प्रकाश तिवारी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जी दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज का प्रयोग) और 34 (साझा आपराधिक इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हितेश को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी सरकारी नौकरी के नाम पर किसी को पैसा न दें और हमेशा अधिकृत भर्ती प्रक्रिया के तहत ही आवेदन करें। इस मामले से यह साफ होता है कि ठग अपने शिकार को फंसाने के लिए किस हद तक योजना बनाते हैं, यहां तक कि फर्जी सरकारी दस्तावेज भी तैयार कर लेते हैं। ऐसे मामलों में जागरूक रहना और समय रहते पुलिस को सूचित करना ही सबसे बड़ा बचाव है।