छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बार फिर पुलिस की मुस्तैदी से ड्रग्स तस्करी के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। टिकरापारा थाना और एसीसीयू (Anti Crime and Cyber Unit) की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके कब्जे से 412 ग्राम 87 मिलीग्राम हेरोइन जब्त की है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 1 करोड़ रुपए आंकी गई है।
यह ड्रग्स नेटवर्क केवल स्थानीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ था। जांच में सामने आया कि मुख्य सप्लायर पंजाब का लवजीत सिंह उर्फ बंटी है, जो पाकिस्तान से हेरोइन मंगवाकर भारत के अलग-अलग राज्यों में इसकी डिलीवरी करता था। इसमें रायपुर को भी एक प्रमुख डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर के रूप में उपयोग किया जा रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए रायपुर के पुलिस महानिरीक्षक अमरेश मिश्रा और एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह के निर्देशन में एक विशेष टीम गठित की गई थी। महीनों की निगरानी, बैंक ट्रांजेक्शन ट्रेसिंग और तकनीकी विश्लेषण के बाद 3 अगस्त को टीम ने कमल विहार सेक्टर-4 में स्थित एक फ्लैट पर छापेमारी की।
कार्रवाई के दौरान तीन लोगों – लवजीत सिंह, सुवित श्रीवास्तव और अश्वनी चंद्रवंशी को गिरफ्तार किया गया। तलाशी में बड़ी मात्रा में हेरोइन, मोबाइल, कार, पैकिंग सामग्री और वित्तीय दस्तावेज बरामद हुए। पूछताछ के बाद पुलिस ने रायपुर में सक्रिय अन्य सदस्यों को भी दबोचा।
कौन-कौन गिरफ्तार हुआ?
गिरफ्तार किए गए कुल 9 आरोपियों में प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
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लवजीत सिंह उर्फ बंटी (गुरदासपुर, पंजाब) – मुख्य सप्लायर
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सुवित श्रीवास्तव (रायपुर) – स्थानीय तस्करी संचालनकर्ता
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अश्वनी चंद्रवंशी – सप्लाई मैनेजर
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लक्ष्य परिफल राघव उर्फ लव – ग्राहक संपर्ककर्ता
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अनिकेत मालाधरे – पैकेजिंग
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मनोज सेठ – वितरक
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मुकेश सिंह – कैश कलेक्शन
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जुनैद खान उर्फ सैफ चिला – नेटवर्क संचालक
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राजविंदर सिंह उर्फ राजू – ट्रांजेक्शन मैनेजर
ड्रग्स तस्करी का तंत्र
जांच में पता चला कि यह पूरा सिंडिकेट बहुत ही व्यवस्थित ढंग से काम करता था। हर आरोपी की भूमिका पहले से तय थी – कोई पैकेजिंग करता था, कोई ग्राहक तलाशता, तो कोई बैंक खातों का संचालन करता था।
कम्युनिकेशन और पहचान छिपाने का तरीका:
ड्रग्स सिंडिकेट ने अपनी पहचान छिपाने के लिए तकनीकी साधनों का भरपूर उपयोग किया। वे वर्चुअल नेटवर्क, विदेशी नंबरों से नेट कॉलिंग, और चैटिंग ऐप्स के जरिए ही बातचीत करते थे। ग्राहकों को लोकेशन और प्रोडक्ट की जानकारी देने के लिए तस्वीरें और वीडियो कॉल का सहारा लिया जाता था।
फाइनेंशियल ट्रैप:
सिंडिकेट ने ट्रांजेक्शन के लिए 'म्यूल एकाउंट्स' का इस्तेमाल किया, जो केवल पैसों के लेन-देन के लिए बनाए गए थे। इन खातों से करोड़ों रुपए का लेन-देन किया गया, जिसके सबूत पुलिस को बैंक स्टेटमेंट्स और चैट रिकॉर्ड्स के जरिए मिले हैं। इसके साथ ही क्रिप्टोकरेंसी और नकद लेन-देन भी शामिल थे, ताकि पकड़ से बचा जा सके।
प्रमुख ठिकाना बना रायपुर का कमल विहार
कमल विहार स्थित फ्लैट को मुख्य स्टोरेज और वितरण केंद्र बनाया गया था। सुवित श्रीवास्तव द्वारा संचालित यह ठिकाना न केवल माल स्टोर करता था, बल्कि यहीं से रायपुर और आसपास के क्षेत्रों में माल वितरित किया जाता था।
FIR दर्ज, और भी गिरफ्तारियां संभावित
पुलिस ने टिकरापारा थाने में NDPS एक्ट की धारा 21(सी) और 29 के तहत मामला दर्ज किया है। गिरफ्तार आरोपियों से हुई पूछताछ में दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में फैले नेटवर्क की जानकारी मिली है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन राज्यों में भी जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
8 महीने से चला रहा था नेटवर्क
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि यह ड्रग्स नेटवर्क पिछले 8 महीनों से सक्रिय था। आरोपी पंजाब और दिल्ली से माल मंगवाकर रायपुर में ऊंचे दामों पर बेचते थे। अधिकतर ग्राहक युवा वर्ग और हाईप्रोफाइल वर्ग से जुड़े थे।