दुर्ग महिला थाना पुलिस ने 9 माह के बच्चे की तस्करी का खुलासा, पटना से बरामद


 

दुर्ग। महिला थाना पुलिस ने मासूम बच्चे की तस्करी के संगीन मामले का सफलतापूर्वक पर्दाफाश किया है। यह मामला 20 जून 2025 का है, जब दुर्ग निवासी एक महिला अपने 9 माह के शिशु के साथ रिश्तेदारों के बहकावे में पटना चली गई। आरोपियों ने सुनियोजित तरीके से योजना बनाकर बच्चे को उसकी मां से अलग कर दिया और लाखों रुपये में बेच दिया। लंबे प्रयास और लगातार जांच के बाद पुलिस ने न केवल बच्चे को सकुशल बरामद किया बल्कि चार आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है।

घटना की शुरुआत

पीड़िता को उसकी रिश्तेदार संगनी बाई और उसके साथी संतोष पाल ने फोन कर पटना बुलाया। भरोसा करके महिला अपने बेटे को लेकर दुर्ग से कोरगांव (कोण्डागांव) होते हुए पटना पहुंच गई। वहां आरोपियों ने उसे किराए के मकान में ठहराया। 8 जुलाई को छत्तीसगढ़ वापस भेजने का झांसा देकर वे उसे आरा रेलवे स्टेशन ले गए। इसी दौरान दानापुर स्टेशन पर आरोपियों ने बच्चे को जबरन उसकी गोद से छीना और फरार हो गए।

शिकायत और जांच

घटना से आहत महिला किसी तरह दुर्ग लौटी और सीधे महिला थाना सेक्टर-6 पहुंची। उसने पुलिस को पूरी घटना बताई। पुलिस ने तुरंत 25 जुलाई को मामला दर्ज किया। मामले की गंभीरता देखते हुए दो टीम बनाई गईं। पहली टीम ने मुख्य आरोपी संगनी बाई को कोरगांव से पकड़ा। दूसरी टीम को सीधे बिहार भेजा गया।

गिरफ्तारी और बरामदगी

पुलिस की जांच बिहार के कई जिलों तक फैली। टीम ने नालंदा, पटना, भदौर और तारतर में दबिश देकर चार आरोपियों को पकड़ा। इनमें संतोष पाल, प्रदीप कुमार, डॉ. बादल उर्फ मिथलेश और गौरी महतो शामिल हैं। सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। बरामद बच्चे को उसकी मां की गोद में सुरक्षित लौटा दिया गया।

पैसे का सौदा

जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि मासूम बच्चे को 7 लाख रुपये में बेचा गया था। सौदे में शामिल आरोपियों ने रकम आपस में बांटी। संतोष पाल को 3 लाख मिले, जबकि प्रदीप कुमार और डॉ. बादल को 2-2 लाख रुपये दिए गए। इस सौदे में गौरी महतो की भी भूमिका सामने आई। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि बच्चे को खरीदने वाले लोग कौन थे और उनके खिलाफ आगे क्या कार्रवाई की जाएगी।

महिला आरोपी पहले ही जेल

मामले की शुरुआत में पकड़ी गई संगनी बाई को पहले ही जेल भेजा जा चुका है। उसकी निशानदेही पर ही पुलिस बाकी आरोपियों तक पहुंच सकी। अधिकारियों का कहना है कि यह तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है, जिसके तार अन्य जगहों से भी जुड़े हो सकते हैं।

पुलिस की सतर्कता

महिला थाना दुर्ग की इस कार्रवाई की हर ओर सराहना हो रही है। इतनी जटिल परिस्थितियों और राज्यों की सीमाओं के पार जाकर जांच करना आसान नहीं था। पुलिस टीम ने लगातार छानबीन की और मासूम को सुरक्षित मां की गोद में वापस ला पाई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे अपराधों में शामिल लोगों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

सामाजिक संदेश

यह मामला समाज के लिए भी एक चेतावनी है। रिश्तेदारी और भरोसे का फायदा उठाकर बच्चों की तस्करी जैसी घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। पुलिस का मानना है कि लोगों को सतर्क रहना होगा और ऐसे संदिग्ध हालात में तुरंत प्रशासन को सूचना देनी चाहिए।

आगे की कार्रवाई

फिलहाल चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है और पुलिस उनकी विस्तृत पूछताछ कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि इस गिरोह के और भी सदस्य सामने आ सकते हैं। बच्चे की बरामदगी के बाद मां और उसके परिवार ने पुलिस का आभार जताया और कहा कि पुलिस की मुस्तैदी के बिना यह संभव नहीं था।

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