बिलासपुर सड़क हादसा: गर्भवती महिला की मौत, पति और बच्चे घायल, ग्रामीणों ने ढूंढकर पुलिस को सौंपी सरकारी गाड़ी


 

बिलासपुर जिले के कोनी थाना क्षेत्र में रक्षाबंधन के दिन हुई एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में 5 माह की गर्भवती महिला की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसका पति और दो छोटे बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद सरकारी गाड़ी और ड्राइवर मौके से फरार हो गए थे, लेकिन ग्रामीणों की सूझबूझ और सक्रियता के चलते वाहन को तलाश कर पुलिस के हवाले कर दिया गया।

घटना तुर्काडीह गांव के पास हुई। जानकारी के अनुसार, भरनी के देवरी गांव निवासी सुमित सूर्यवंशी अपनी पत्नी हेमलता सूर्यवंशी, 7 साल की बेटी मिंटी और 10 साल के बेटे रिशु के साथ रक्षाबंधन मनाने के लिए अपने ससुराल, सेमरताल गांव जा रहे थे। बाइक पर सफर कर रहा यह खुशहाल परिवार अपने गंतव्य तक पहुंच भी नहीं पाया कि पीछे से तेज रफ्तार में आ रही एक सरकारी वाहन ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी।

टक्कर इतनी भीषण थी कि हेमलता, जो पांच माह की गर्भवती थी, ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। हादसे में पति सुमित और दोनों बच्चे सड़क पर गिरकर बुरी तरह घायल हो गए। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने तुरंत घायलों को अस्पताल पहुंचाया। बेटे रिशु का इलाज सिम्स अस्पताल में जारी है, जबकि बेटी मिंटी को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।

हादसे के बाद जो बात सबसे चौंकाने वाली रही, वह यह कि टक्कर मारने वाला वाहन और उसका चालक मौके से फरार हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वाहन पेंड्रा SDM ऋचा चंद्राकर का सरकारी वाहन है। हादसे के बाद पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने खुद मोर्चा संभालते हुए कई दिनों तक तलाश अभियान चलाया और आखिरकार सोमवार को वाहन को ढूंढ निकाला। इसके बाद वाहन को पुलिस के हवाले कर दिया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह से हादसे के बाद वाहन और चालक फरार हुए, यह गंभीर लापरवाही का मामला है और दोषियों पर तुरंत सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। परिजनों का भी यही कहना है कि गर्भवती महिला की मौत और बच्चों की हालत के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के तहत कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

पुलिस ने वाहन जब्त कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि हादसे के वक्त वाहन चला कौन रहा था। पुलिस का कहना है कि ड्राइवर की पहचान और उसकी भूमिका की जांच की जा रही है। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि क्या दुर्घटना के समय सरकारी वाहन का उपयोग व्यक्तिगत कार्यों के लिए किया जा रहा था।

इलाके में इस घटना को लेकर आक्रोश का माहौल है। लोग इसे सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही और जिम्मेदारी से बचने की कोशिश मान रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि ड्राइवर मौके पर रुककर घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाता, तो शायद किसी की जान बच सकती थी।

हेमलता की मौत से उसके परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। सुमित, जो खुद घायल हैं, पत्नी के खोने के सदमे से उबर नहीं पा रहे। बच्चों की हालत देखकर ग्रामीण भी भावुक हो उठे हैं। लोग इस घटना को लंबे समय तक याद रखेंगे, क्योंकि यह न केवल एक परिवार की जिंदगी बदलने वाली दुर्घटना है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या सरकारी वाहन और पद पर बैठे लोग कानून से ऊपर हैं?

पुलिस का कहना है कि मामले की पूरी जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। इस बीच, गांव के लोग और पीड़ित परिवार न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।


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