रेंगाखार थाना क्षेत्र के मोतिनपुर जंगल में शुक्रवार शाम पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जुआ खेल रहे आठ आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ा। जानकारी के अनुसार करीब 6 बजे जंगल के अंदर फड़ लगाया गया था, जहां 15 से 16 लोग ताश के पत्तों पर दांव लगा रहे थे। पुलिस को पहले से ही इस गतिविधि की भनक लग चुकी थी। आरोपियों की सतर्कता को देखते हुए पुलिस दल ने मुख्य मार्ग की बजाय दूसरे रास्ते से पैदल पहुंचकर घेराबंदी की। अचानक दबिश पड़ते ही वहां अफरा-तफरी मच गई और कुछ लोग मौके से भागने में सफल हो गए। हालांकि, टीम ने आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
जुआरियों से पुलिस ने मौके पर दांव पर लगे 54,700 रुपये नगद और लगभग 58 हजार रुपये मूल्य के आठ मोबाइल फोन बरामद किए हैं। आश्चर्य की बात यह रही कि जुआरी जंगल में वॉचर भी तैनात किए हुए थे, ताकि पुलिस या अन्य लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसके बावजूद पुलिस की रणनीति सफल रही और टीम बिना भनक लगे फड़ तक पहुंच गई।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोग शामिल हैं। इनमें चंद्रदीप पाण्डोलत (40) और तेजलाल बढ़ई (36) निवासी दमोह जिला बालाघाट (मध्यप्रदेश), मनीष सिंह (42) निवासी मानेगांव जिला बालाघाट (मध्यप्रदेश), चुलेश यादव (30) व कौशिक सरकार (40) निवासी साल्हेवारा जिला कबीरधाम, संजय (34) और उमेश (41) निवासी रेंगाखार शामिल हैं। वहीं इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला नाम परसराम साहू का है, जो पंडरीपानी पंचायत का सचिव है और वह भी जुआ खेलते पकड़ा गया।
पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध अधिनियम 2022 की धारा 3(2) के तहत कार्रवाई की है। जांच अधिकारियों का कहना है कि फरार हुए अन्य आरोपियों की भी पहचान की जा रही है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस इलाके में लंबे समय से जुए के फड़ सक्रिय रहते हैं, जिनमें बाहर से भी लोग शामिल होते हैं। इससे न सिर्फ सामाजिक माहौल खराब होता है, बल्कि कई युवा भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। ग्रामवासी बार-बार ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग करते रहे हैं। पुलिस की यह कार्रवाई लोगों के बीच राहत का कारण बनी है और उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में भी इस तरह के अवैध अड्डों पर लगातार कार्रवाई होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि जुए जैसे अपराधों पर रोक लगाने के लिए केवल पुलिस कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं है। समाज के लोगों को भी जागरूक होकर इसमें सहयोग करना होगा। पंचायत स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया जाए और गांव के युवाओं को खेल, रोजगार व सकारात्मक गतिविधियों की ओर प्रेरित किया जाए, तभी ऐसे अपराधों में कमी आएगी।
रेंगाखार पुलिस की इस कार्यवाही ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कानून से बचना आसान नहीं है। चाहे जंगल हो या शहर, अपराधी कितनी भी तैयारी क्यों न कर लें, कानून के शिकंजे से बच पाना मुश्किल है।