अक्षय तृतीया: मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों से सजी छत्तीसगढ़ की रौनक, 200 करोड़ के कारोबार की उम्मीद
देशभर में अक्षय तृतीया का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में इसे 'अक्ती तिहार' के नाम से जाना जाता है। यह दिन शुभ कार्यों और विवाह के मुहूर्त की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। खास बात यह है कि इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त के शुभ कार्य संपन्न किए जाते हैं। रायपुर में 58 और बिलासपुर में 121 जोड़ों की शादी के आयोजन इस पर्व की भव्यता को दर्शाते हैं।
## छत्तीसगढ़ की अनोखी परंपरा: मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों की शादी
छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी से बने गुड्डे-गुड़ियों की शादी की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस रस्म को पूरे रीति-रिवाज के साथ निभाया जाता है। रायपुर के चौक-चौराहों पर मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों के बाजार सज गए हैं। इन बाजारों में गुड्डे-गुड़ियों के लिए पोशाक, माला और मंडप सजाने का सामान भी उपलब्ध है। लोग अपने घरों में इस परंपरा को धूमधाम से मनाते हैं।
## सराफा बाजार में उत्साह: 200 करोड़ के व्यापार का अनुमान
अक्षय तृतीया को सोने-चांदी की खरीदारी के लिए बेहद शुभ माना जाता है। रायपुर के सराफा बाजार में इस दिन की तैयारियां जोर-शोर से की गई हैं। सोने और चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद, व्यापारियों को इस बार लगभग 200 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू बताते हैं कि इस दिन सोना खरीदना शुभ होता है, जिससे बाजार में रौनक बनी रहती है। कई ग्राहकों ने पहले से ही एडवांस बुकिंग करा ली है। उनका कहना है कि दीपावली के धनतेरस की तरह अक्षय तृतीया भी व्यापार के लिए सुनहरा अवसर लेकर आता है। ग्राहक अपने बजट के अनुसार आभूषण खरीद रहे हैं, वहीं व्यापारी भी सोने-चांदी में निवेश कर रहे हैं।
###सामूहिक विवाह का आयोजन###
अक्षय तृतीया को विवाह के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इसी मौके पर छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
- **रायपुर**: हरदिहा साहू समाज की ओर से कांदुल में 58 जोड़ों की शादी करवाई जा रही है। समाज के अध्यक्ष विनय कुमार साहू ने बताया कि शाम 4 बजे बारात सामाजिक भवन पहुंचेगी और गोधुलि बेला में मंत्रोच्चार के साथ पाणिग्रहण होगा।
- **बिलासपुर**: सिद्ध शक्तिपीठ महामाया देवी मंदिर पब्लिक ट्रस्ट रतनपुर द्वारा 121 जोड़ों का विवाह संपन्न कराया जा रहा है। ट्रस्ट हर साल इस दिन यह आयोजन करता है। विवाह के बाद नवदंपत्तियों को आभूषण, कपड़े, बर्तन और 5 हजार रुपये उनके खाते में दिए जाते हैं।
## सिद्ध मुहूर्त का महत्व
पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार, अक्षय तृतीया अपने आप में एक सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन बिना किसी विशेष समय के विवाह, गृह प्रवेश और सगाई जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। आज से शुरू हुए विवाह के मुहूर्त मई और जून के पहले सप्ताह तक बने रहेंगे।
## छत्तीसगढ़ की धार्मिक परंपराएं
छत्तीसगढ़ में इस दिन कई धार्मिक रीति-रिवाज निभाए जाते हैं।
- पितरों को तर्पण और शिवालयों व मंदिरों में घाट दान की परंपरा।
- गर्मी के मौसम को देखते हुए सभी देवी-देवताओं पर जल अर्पित किया जाता है।
- ग्रामीण इलाकों में किसान पेड़-पौधों, गो-धन और कृषि औजारों की पूजा करते हैं।
अक्षय तृतीया का यह पर्व छत्तीसगढ़ में परंपरा, संस्कृति और आर्थिक उत्साह का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों से लेकर सोने-चांदी तक, यह दिन हर वर्ग के लिए खास बन जाता है।