**हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: राजनांदगांव में कॉलोनी घोटाले पर 30 दिन में कार्रवाई के आदेश**
**राजनांदगांव:** बजरंगपुर नवागांव की प्रिंसेस प्लैटिनम कॉलोनी में नियमों की धज्जियां उड़ाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। कॉलोनाइजर ने नगर निगम के पास बंधक रखे प्लॉट नंबर 11 और 12 को अवैध रूप से बेच दिया। इस घोटाले के खिलाफ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए नगर निगम को 30 दिन में कॉलोनाइजर पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
**क्या है पूरा मामला?**
कॉलोनी निर्माण के लिए नगर निगम से अनुमति लेने के बाद कॉलोनाइजर ने निगम के साथ अनुबंध किया था। इसके तहत प्लॉट नंबर 11, 12, 13 और 14 को पूर्णता प्रमाण पत्र जारी होने तक बंधक रखा गया था। लेकिन, कॉलोनाइजर ने नियमों को ताक पर रखकर सितंबर 2017 में प्लॉट नंबर 11 और 12 को 10 लाख रुपये में बेच दिया। 2019 में निगम ने पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया, लेकिन कॉलोनी में रोड और गार्डन को लेकर विवाद शुरू हो गया।
**नागरिकों की शिकायत, निगम की चुप्पी**
कॉलोनी निवासी दीपा रामटेके और अन्य लोगों ने सूचना के अधिकार के तहत बंधक पत्र की जानकारी हासिल की। 2021 में निगम और कलेक्टर से शिकायत की गई, लेकिन कई पत्रों के बावजूद निगम ने सिर्फ औपचारिक सूचना पत्र जारी कर मामले को दबाने की कोशिश की।
**हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती**
न्याय की गुहार लेकर दीपा रामटेके ने अधिवक्ता लवकुमार के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कॉलोनाइजर और निगम के अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई। हाईकोर्ट ने निगम को 30 दिन के भीतर कॉलोनाइजर के खिलाफ ठोस कदम उठाने का आदेश दिया।
**FIR और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग**
दीपा रामटेके ने मांग की है कि कॉलोनाइजर के साथ-साथ निगम के जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों और इंजीनियरों पर धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत FIR दर्ज की जाए। उनका कहना है कि निगम की लापरवाही और मिलीभगत के कारण इस गंभीर भूमि घोटाले को सालों तक अनदेखा किया गया। इससे न केवल कानून का उल्लंघन हुआ, बल्कि आम नागरिकों का भरोसा भी टूटा।
**आगे क्या?**
हाईकोर्ट के इस फैसले से कॉलोनीवासियों में न्याय की उम्मीद जगी है। अब सभी की नजरें नगर निगम पर टिकी हैं कि वह 30 दिन के भीतर क्या कार्रवाई करता है। यह मामला न केवल राजनांदगांव बल्कि पूरे राज्य में कॉलोनी घोटालों पर नकेल कसने का एक बड़ा उदाहरण बन सकता है।
**न्याय की जीत की ओर एक कदम**
यह मामला साबित करता है कि नागरिकों की एकजुटता और कानूनी लड़ाई से बड़े से बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। हाईकोर्ट का यह आदेश न केवल कॉलोनाइजरों के लिए सबक है, बल्कि निगम जैसे संस्थानों को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने की चेतावनी देता है।


