**रायपुर में मरीजों की मुश्किलें बरकरार: जिला अस्पताल में हार्ट, किडनी, लिवर विशेषज्ञों की सेवाएं ठप, निजी अस्पतालों का सहारा!**

**रायपुर में मरीजों की मुश्किलें बरकरार: जिला अस्पताल में हार्ट, किडनी, लिवर विशेषज्ञों की सेवाएं ठप, निजी अस्पतालों का सहारा!**

रायपुर, 20 अप्रैल 2025: रायपुर के पंडरी स्थित जिला अस्पताल में मरीजों का हाल बेहाल है। हार्ट, किडनी, लिवर और ब्लड कैंसर जैसे गंभीर रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं बंद होने से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले निजी अस्पतालों के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर यहां मरीजों का इलाज करते थे, लेकिन अब मरीजों को मजबूरन डीकेएस, एसीआई या महंगे निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रही है। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता और सुस्त रवैये ने मरीजों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

**क्या थी पहले की व्यवस्था?**  

पहले जिला अस्पताल में निजी अस्पतालों के सीनियर और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर सप्ताह में 6 दिन ओपीडी में मरीजों को देखते थे। हार्ट, किडनी, लिवर, ब्लड कैंसर और पेट से जुड़ी बीमारियों के लिए गेस्ट्रोलॉजिस्ट से लेकर लेप्रोस्कोपिक सर्जन तक सेवाएं देते थे। एक सुनियोजित टाइम-टेबल के तहत सोमवार से शनिवार तक मरीजों को मुफ्त इलाज मिलता था। निजी अस्पतालों के मालिक और डायरेक्टर तक इस नेक पहल का हिस्सा थे। मरीजों की जांच और हिस्ट्री के आधार पर उनकी बीमारी का पता चलता, जिसके बाद वे अपनी सुविधा के अनुसार आगे का इलाज चुन सकते थे।

**कोरोना ने तोड़ी व्यवस्था, फिर नहीं सुधरी**  

मार्च 2020 में कोरोना के पहले केस के बाद यह ओपीडी सेवा बंद कर दी गई। पांच साल बीत जाने के बावजूद इसे दोबारा शुरू करने की कोई ठोस कोशिश नहीं हुई। स्वास्थ्य विभाग और सीएमएचओ कार्यालय इस दिशा में गंभीरता दिखाने में नाकाम रहे हैं। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की मुफ्त सेवाएं दोबारा शुरू करने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा, जिसका खामियाजा गरीब और मध्यम वर्ग के मरीज भुगत रहे हैं।

**डीकेएस में भी अधूरी सुविधाएं**  

डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी हालात पूरी तरह संतोषजनक नहीं हैं। यहां ब्लड कैंसर विभाग बंद हो चुका है, क्योंकि विशेषज्ञ डॉक्टर नौकरी छोड़कर चले गए। एक ब्लड कैंसर विशेषज्ञ जिला अस्पताल में पहले सेवाएं दे रहे थे, लेकिन अब उनकी नियुक्ति के लिए जगह की कमी का हवाला दिया जा रहा है। नतीजा? मरीजों के पास निजी अस्पतालों के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

**स्वास्थ्य विभाग का जवाब: सिर्फ विचार?**  

सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा, “हमें इसकी जानकारी नहीं थी कि निजी अस्पतालों के डॉक्टर जिला अस्पताल में सेवाएं दे रहे थे। इस पर एक बार विचार किया जाएगा।” यह बयान स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को साफ उजागर करता है। 

**मरीजों का दर्द, सिस्टम की बेरुखी**  

जिला अस्पताल में विशेषज्ञ सेवाओं के अभाव में मरीजों को महंगे निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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