कोरबा (छत्तीसगढ़), 20 मई 2025: कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल में एक बार फिर बाघ की उपस्थिति ने ग्रामीणों और वन विभाग को सतर्क कर दिया है। ताजा घटना में बाघ ने दो भैंसों का शिकार कर वन क्षेत्र में दहशत फैला दी है। घटना के बाद वन विभाग ने जांच तेज कर दी है और संभावित मूवमेंट पर नजर रखने के लिए जंगल में 19 कैमरे लगाए गए हैं। बाघ के पंजों के स्पष्ट निशान चैतुरगढ़ पहाड़ी क्षेत्र में पाए गए हैं, जिससे उसके सक्रिय होने की पुष्टि हुई है।
घटना का विवरण
यह घटना रविवार रात की बताई जा रही है जब साल्हेझर और चैतुरगढ़ क्षेत्र के बीच स्थित घने जंगल में चरने गईं दो भैंसों को बाघ ने मार डाला। सुबह ग्रामीणों ने जब भैंसों की तलाश शुरू की तो जंगल में उनका क्षत-विक्षत शव मिला। इसके तुरंत बाद वन विभाग को सूचना दी गई।
कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। घटनास्थल के आसपास कई स्थानों पर बाघ के ताजे पंजों के निशान पाए गए हैं, जिससे स्पष्ट है कि शिकार हाल ही में हुआ है और बाघ अभी भी क्षेत्र में सक्रिय है।
वन विभाग की कार्यवाही
वन विभाग ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए पूरे क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है। चैतुरगढ़ पहाड़ी के आसपास और संभावित बाघ के मूवमेंट वाले क्षेत्रों में 19 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों के जरिए बाघ की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है ताकि उसके मूवमेंट का पता चल सके और समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
वन परिक्षेत्र अधिकारी (RFO) ने बताया, “हमने इलाके की घेराबंदी कर दी है और ग्रामीणों से अपील की है कि वे फिलहाल जंगल में मवेशी चराने न ले जाएं। ट्रैप कैमरों से बाघ की पहचान और मूवमेंट पैटर्न को समझने की कोशिश की जा रही है।”
चैतुरगढ़ की भौगोलिक स्थिति
चैतुरगढ़ क्षेत्र कोरबा जिले के एक घना वनक्षेत्र है जो पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र हमेशा से वन्यजीवों, विशेषकर तेंदुआ और कभी-कभार बाघ की उपस्थिति के लिए जाना जाता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में यहां बाघों की आवाजाही की कुछ सूचनाएं सामने आई थीं लेकिन शिकार की पुष्टि बहुत कम मौकों पर हुई थी।
इस बार दो भैंसों का शिकार होना क्षेत्र में बाघ की ठोस मौजूदगी को दर्शाता है। इसके साथ ही यह भी दर्शाता है कि बाघ अब मानव बस्तियों के करीब आता जा रहा है, जिससे इंसान और जानवर के बीच संघर्ष की आशंका भी बढ़ती जा रही है।
ग्रामीणों में दहशत
भैंसों के शिकार के बाद ग्रामीणों में भारी दहशत है। गांव वालों का कहना है कि वे अब मवेशियों को जंगल में चराने नहीं ले जा पा रहे हैं। कई लोगों ने वन विभाग से बाघ को पकड़ने या खदेड़ने की मांग की है।
ग्रामवासी रामधनी साहू ने बताया, “हमारे गांव के पास ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी मवेशियों पर हमले हुए हैं, लेकिन दो भैंसों का एक साथ शिकार होना बहुत डरावना है। हम डर के साये में हैं और वन विभाग से उचित सुरक्षा की मांग करते हैं।”
वन्यजीव संरक्षण बनाम मानव सुरक्षा
इस प्रकार की घटनाएं एक ओर जहां वन्यजीवों की बढ़ती सक्रियता और संरक्षण की सफलता को दर्शाती हैं, वहीं दूसरी ओर यह ग्रामीणों के जीवन और उनकी आजीविका पर संकट भी उत्पन्न करती हैं। ऐसी स्थिति में वन विभाग को संतुलन बनाकर कार्य करना होता है ताकि ना तो वन्यजीवों को नुकसान पहुंचे और ना ही ग्रामीणों की सुरक्षा खतरे में पड़े।