**धमधा में प्राकृतिक आपदा ने मचाई तबाही, फल और सब्जी किसानों को भारी नुकसान**

 **धमधा में प्राकृतिक आपदा ने मचाई तबाही, फल और सब्जी किसानों को भारी नुकसान**

छत्तीसगढ़ का धमधा क्षेत्र, जो अपनी सब्जियों और फलों की पैदावार, खासकर टमाटर के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। गुरुवार शाम को आई तेज आंधी और बारिश ने इस क्षेत्र के किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। फल उगाने वाले किसानों को सबसे अधिक मार पड़ी है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन करने पहुंचे हैं।

**500 एकड़ फसल बर्बाद, केला-आम-पपीता जमींदोज**  

दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में करीब 500 एकड़ में लगी केला, आम, पपीता और चीकू की फसलें तैयार होने से पहले ही बर्बाद हो गईं। भास्कर की टीम ने धौराभाठा के एक बड़े कृषि फार्म का दौरा किया, जहां 500 एकड़ में पूरी तरह ऑर्गेनिक खेती की जाती है। इस फार्म में 20 तरह के फलों की पैदावार हर मौसम में होती है। 

फार्म संचालक राजेश पुनिया ने बताया कि तेज आंधी ने केले के पेड़ों को जड़ से उखाड़ दिया, जबकि आम, पपीता और चीकू के फल पकने से पहले ही जमीन पर बिखर गए। इस आपदा से उन्हें 70-80 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। 

**छोटे किसानों की भी कमर टूटी**  

बड़े फार्मों के साथ-साथ छोटे किसानों की फसलें भी इस आंधी की भेंट चढ़ गईं। स्थानीय किसानों का कहना है कि फलों की खेती उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत थी, लेकिन इस बार मौसम ने उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया। अब वे सरकार से आर्थिक मदद की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि अपने कर्मचारियों का खर्च और अन्य जरूरतें पूरी कर सकें।

**उद्यानिकी विभाग का सर्वे शुरू**  

उद्यानिकी अधिकारी प्रमोद धनेंद्र ने बताया कि जिन किसानों ने पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत एड-ऑन कवर लिया था, उन्हें आपदा के 72 घंटे के भीतर सूचना देनी होती है। इसी के तहत अधिकारी नुकसान का जायजा लेने पहुंचे हैं। जिन किसानों ने बीमा नहीं कराया, उनके लिए सरकार अन्य योजनाओं के तहत मदद की व्यवस्था करेगी। नुकसान की रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी, जिसके आधार पर राहत प्रदान की जाएगी।

**70 किमी/घंटा की रफ्तार से चली आंधी**  

मौसम विभाग के अनुसार, गुरुवार शाम को 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी चली, जिसके साथ बारिश ने भी कहर बरपाया। इसने बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ दिया और फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पेड़-पौधे, फसलें और कई निर्माण कार्य प्रभावित हुए हैं। 

किसानों का कहना है कि अगर सरकार समय पर मदद नहीं करती, तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है। अब सभी की नजरें सरकारी राहत और बीमा योजनाओं पर टिकी हैं।

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