कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा वनमंडल में वाहन चालकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने मौजूदा चालकों को पहले से तय करके 93-93 अंक दिए, जबकि अन्य अभ्यर्थियों को कम अंक देकर पिछड़ा दिया गया। इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं और यदि गड़बड़ी पाई गई तो पूरी भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी।
भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप
वन विभाग द्वारा आयोजित वाहन चालक भर्ती परीक्षा में कुल 50 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए थे। लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद जब परिणाम घोषित किए गए, तो पता चला कि DFO (वनमंडल अधिकारी) और SDO (उपवनमंडल अधिकारी) के वर्तमान में कार्यरत चालकों को 93-93 अंक दिए गए, जबकि अन्य उम्मीदवारों को 60-70 अंकों के बीच रखा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि चयन प्रक्रिया में पक्षपात किया गया।
अभ्यर्थियों ने उठाए सवाल
कई अभ्यर्थियों ने शिकायत की कि परीक्षा और इंटरव्यू में पारदर्शिता का अभाव था। उनका आरोप है कि अधिकारियों ने अपने चालकों को बिना योग्यता के ही टॉप स्कोर दिलवा दिया। एक अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "जिन चालकों को 93 अंक मिले हैं, वे पहले से ही विभाग में काम कर रहे हैं। क्या यह संभव है कि सभी मौजूदा चालकों ने बाकी उम्मीदवारों से इतना बेहतर प्रदर्शन किया?"
विभाग ने जांच के आदेश दिए
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए हैं। कोरबा के वनमंडल अधिकारी (DFO) ने बताया कि "यदि भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा और नए सिरे से भर्ती निकाली जाएगी।"
राजनीतिक दलों ने भी उठाई आवाज
इस मामले में विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के स्थानीय नेता ने आरोप लगाया कि "वन विभाग में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। अधिकारी अपने लोगों को बिना मेरिट के नौकरी दे रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।"
क्या कहता है नियम?
छत्तीसगढ़ सरकार के भर्ती नियमों के अनुसार, किसी भी पद के लिए चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। यदि किसी उम्मीदवार को अनुचित लाभ दिया गया है, तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। अगर जांच में पाया जाता है कि अंकों में हेराफेरी की गई है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।
आगे की कार्रवाई
विभाग ने सभी शिकायतों को गंभीरता से लिया है और जल्द ही एक समिति गठित की जाएगी, जो इस मामले की जांच करेगी। अगर चयन प्रक्रिया में धांधली साबित होती है, तो न केवल भर्ती रद्द होगी, बल्कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।