छत्तीसगढ़ में पुलिस विभाग के शीर्ष पद, यानी स्थायी पुलिस महानिदेशक (DGP) की कुर्सी के लिए खींचतान तेज हो गई है। वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी संभाल रहे आरिफ शेख की नियुक्ति अस्थायी मानी जा रही है, और अब राज्य सरकार को स्थायी डीजीपी का चयन करना है। इस अहम पद के लिए राज्य के तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसर रेस में हैं—अरुण देव गौतम, आरके विज, और जीपी सिंह। वहीं इस दौड़ में नेताजी भी अपने-अपने पसंदीदा अफसरों के पक्ष में लॉबिंग में जुट गए हैं।
केंद्र को भेजी जाएगी 3 नामों की सूची
सूत्रों के अनुसार, सरकार जल्द ही संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को तीन सीनियर आईपीएस अधिकारियों की सूची भेजेगी। UPSC से अनुमोदन के बाद मुख्यमंत्री अंतिम निर्णय लेंगे। राज्य सरकार की ओर से भेजे जाने वाले नामों में 1989 बैच के अरुण देव गौतम, 1991 बैच के आरके विज, और 1994 बैच के जीपी सिंह प्रमुख माने जा रहे हैं।
अरुण देव गौतम: सीनियर मोस्ट अफसर, नेताओं की मजबूत लॉबी
अरुण देव गौतम इस समय राज्य में सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर हैं और उनके पक्ष में कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की लॉबी सक्रिय है। गौतम की छवि एक शांत, लेकिन अनुशासित अधिकारी की रही है। वे लंबे समय तक एंटी नक्सल ऑपरेशन और सीआईडी में काम कर चुके हैं। कुछ नेता उन्हें एक 'नॉन कंट्रोवर्शियल' चेहरा मानते हैं, जो चुनावी साल में प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
आरके विज: अनुभव का लाभ लेकिन रिटायरमेंट करीब
आरके विज भी एक मजबूत दावेदार हैं। वे इस समय जेल विभाग में महानिदेशक हैं और लंबे प्रशासनिक अनुभव रखते हैं। हालांकि, विज के पक्ष में एक बड़ा फैक्टर यह भी है कि उनका रिटायरमेंट नजदीक है (अगले 6 महीनों में), जिससे सरकार उन्हें एक 'सम्मानजनक विदाई' के तौर पर डीजीपी बना सकती है। लेकिन उनके नाम को लेकर लॉबिंग की ताकत कम नजर आ रही है।
जीपी सिंह: अफसरों की पहली पसंद, लेकिन राजनीतिक समीकरण में कमज़ोर
पूर्व एसीबी प्रमुख जीपी सिंह, जिनकी छवि तेजतर्रार और निर्णयात्मक अधिकारी की रही है, भी रेस में हैं। उन्हें विभाग के अंदर अफसरों का समर्थन प्राप्त है। कई वरिष्ठ अफसरों का मानना है कि पुलिस व्यवस्था में सुधार और अनुशासन की बहाली के लिए सिंह सबसे उपयुक्त विकल्प हैं। लेकिन उनके खिलाफ पहले कुछ विवादों और सरकार से टकराव की पृष्ठभूमि के कारण राजनीतिक लॉबी में उनका नाम थोड़ा कमज़ोर माना जा रहा है।
आरिफ शेख का क्या होगा?
वर्तमान में डीजीपी का कार्यभार संभाल रहे आरिफ शेख भी कम चर्चित नहीं हैं। हालांकि वे सीनियरिटी में पिछड़ जाते हैं, लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता और ईमानदार छवि के चलते कुछ अफसर उन्हें स्थायी डीजीपी बनाने की सिफारिश कर सकते हैं। लेकिन उनका नाम UPSC पैनल में जगह पाने की संभावना कम मानी जा रही है।
सरकार की चुप्पी, लेकिन अंदरखाने मंथन तेज
सरकारी स्तर पर इस मसले पर अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन गृह विभाग के अंदर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि “सरकार इस बार डीजीपी चयन को लेकर काफी सतर्क है और ऐसा नाम चाहती है जो राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से संतुलित हो।”