कोरबा, छत्तीसगढ़।
SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की मानिकपुर खदान में ठेका कंपनी कलिंगा के मैनेजर चक्रधर मोहंती पर गंभीर आरोप लगे हैं। ग्रामीणों और कंपनी चालकों ने उन पर मारपीट, पैसे की अवैध मांग और जातिसूचक गालियां देने का आरोप लगाया है। इस घटना को लेकर शनिवार रात माहौल तनावपूर्ण हो गया, जब खदान से प्रभावित सात गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में मानिकपुर चौकी पहुंचे और FIR दर्ज करने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए।
दोनों पक्षों ने दर्ज कराई शिकायत
मिली जानकारी के अनुसार, कलिंगा कंपनी के मैनेजर चक्रधर मोहंती और कंपनी के चालकों के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद हुआ, जो बाद में मारपीट तक पहुंच गया। मोहंती और उनके साथ मौजूद बाउंसरों पर आरोप है कि उन्होंने कर्मचारियों के साथ मारपीट की। वहीं दूसरी ओर, मैनेजर मोहंती की ओर से भी कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है।
ग्रामीणों का आरोप: पैसे की मांग और जातिगत गालियां
प्रभावित ग्रामीण अमन पटेल ने बताया कि मैनेजर मोहंती खदान में कर्मचारियों का ट्रांसफर रोकने या करवाने के बदले में पैसे की मांग करते हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है, ग्रामीणों के अनुसार मोहंती के खिलाफ पहले भी कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि मोहंती जातिगत गालियां देकर कर्मचारियों और ग्रामीणों का अपमान करते हैं।
धरना और पुलिस का हस्तक्षेप
इस घटना के विरोध में ग्रामीणों ने शनिवार देर रात मानिकपुर थाने के बाहर जमकर प्रदर्शन किया और मोहंती के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर समझाइश दी और प्रदर्शन को शांत कराया। कोरबा के सिटी एसपी (CSP) भूषण एक्का ने बयान जारी करते हुए कहा कि मारपीट की शिकायत पर उचित कार्रवाई की जाएगी और जांच शुरू कर दी गई है।
खदान बंद करने की चेतावनी
ग्रामीणों का आक्रोश इस कदर बढ़ गया है कि उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द ही चक्रधर मोहंती के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो वे मानिकपुर खदान को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर देंगे। उन्होंने जल्द ही एक सामूहिक बैठक बुलाकर आंदोलन की योजना तैयार करने की भी बात कही है।
प्रशासन और SECL की स्थिति पर नजर
फिलहाल SECL और जिला प्रशासन दोनों इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि CSP द्वारा जांच की बात जरूर कही गई है, लेकिन अभी तक FIR दर्ज होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। इससे ग्रामीणों और खदान कर्मचारियों में नाराजगी बनी हुई है।
स्थिति गंभीर, प्रशासन की अग्नि परीक्षा
यह विवाद अब केवल एक आपसी झगड़े तक सीमित नहीं रहा। इसमें भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव और श्रमिकों के अधिकारों जैसे गंभीर मुद्दे भी जुड़ चुके हैं। ऐसे में अगर प्रशासन ने समय रहते न्यायोचित कदम नहीं उठाए, तो यह मामला और भी बड़ा रूप ले सकता है। खदान बंद होने की स्थिति में SECL को भी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।