बस्तर (छत्तीसगढ़), 21 जून 2025:
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में बीते 25 वर्षों से नक्सलवाद के खिलाफ चला आ रहा संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर है। वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर जब छत्तीसगढ़ बना, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह नवगठित राज्य दशकों तक लाल आतंक से जूझता रहेगा। लेकिन बीते ढाई दशकों में पुलिस और नक्सलियों के बीच 3366 से अधिक मुठभेड़ें हो चुकी हैं। इन मुठभेड़ों में 1324 से ज्यादा जवान शहीद हुए हैं, जबकि सुरक्षा बलों ने 1510 से अधिक नक्सलियों को ढेर कर दिया है।
बदलता परिदृश्य: 2022 के बाद हालात में बदलाव
वर्ष 2022-23 के बाद से बस्तर की परिस्थितियों में उल्लेखनीय बदलाव आया है। बीते 2 से ढाई वर्षों में नक्सली गतिविधियों पर कड़ा प्रहार हुआ है। इन वर्षों में सुरक्षा बलों ने 420 से ज्यादा नक्सलियों का एनकाउंटर किया है। हालांकि इस दौरान भी 88 जवानों को अपनी शहादत देनी पड़ी है। इनमें से अधिकांश जवान IED ब्लास्ट का शिकार बने हैं, जो अब भी नक्सलियों की सबसे घातक रणनीति बनी हुई है।
गृह मंत्री शाह की घोषणा: 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में अपने बस्तर दौरे के दौरान कहा कि “31 मार्च 2026 तक बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। अब यह लड़ाई आखिरी चरण में है।”
उनके इस बयान ने नक्सल प्रभावित इलाकों में कार्यरत सुरक्षा बलों को नई ऊर्जा दी है और प्रशासनिक तंत्र को स्पष्ट दिशा।
अमर वाटिका: जहां नामों के लिए जगह नहीं बची
बस्तर के जगदलपुर में स्थित "अमर वाटिका" अब शहीद जवानों के नामों से पूरी भर चुकी है। लगभग 60 फीट लंबी दीवार पर काले पत्थरों पर सुनहरे अक्षरों से लिखे गए नाम एक-एक बलिदान की कहानी बयां करते हैं। अब नए नामों के लिए भी जगह कम पड़ रही है। यह स्मारक एक जीवंत गवाही है उस बलिदान की, जो जवानों ने बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त कराने के लिए दिया है।
बस्तर की बड़ी नक्सली घटनाएं
2007: रानीबोदली हमला – 55 शहीद
बस्तर में रानीबोदली में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के कैंप पर हमला किया। जवानों की गोलियां खत्म होते ही नक्सली कैंप में घुसे और पेट्रोल बम से हमला किया। इस हमले में 55 जवान शहीद हो गए। इसी साल अन्य घटनाओं में 200 से अधिक जवानों ने जान गंवाई।
2010: ताड़मेटला नरसंहार – 76 शहीद
ताड़मेटला की घटना को देश की सबसे बड़ी नक्सली घटना माना जाता है। माओवादी घात लगाकर बैठे थे और जब जवान इलाके से गुजर रहे थे, तो घातक हमला हुआ। वहीं चिंगावरम IED ब्लास्ट में 20 जवान मारे गए। पूरे साल में कुल 171 जवान शहीद हुए।
2017: बुरकापाल हमला
बस्तर के सुकमा जिले के बुरकापाल में नक्सलियों ने सीआरपीएफ की टुकड़ी पर हमला किया। इस घटना में 25 जवानों ने अपनी जान गंवाई।
2021: टेकलगुड़ेम मुठभेड़
इस मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए, जबकि 30 से अधिक घायल हो गए। यह घटना बस्तर में IED और जंगल युद्ध रणनीति के मिलाजुला परिणाम थी।
जंग का नया चेहरा: बस्तर फाइटर और तकनीकी ताकत
अब बस्तर के जंगलों में केवल CRPF या DRG नहीं, बल्कि बस्तरिया बटालियन, कोबरा कमांडो, बस्तर फाइटर, STF, CAF, ITBP और BSF जैसे विविध बल कार्यरत हैं। लोकल युवाओं की भर्ती कर बस्तर फाइटर के रूप में तैनात किया गया है, जो इलाके की भौगोलिक व सांस्कृतिक जानकारी के साथ लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं।