कोरबा मेडिकल कॉलेज में लाखों की मशीनें बंद, कलेक्टर ने जताई सख्त नाराजगी कलेक्टर ने निरीक्षण के दौरान दी चेतावनी - लापरवाहों की कटेगी सैलरी, जल्द चालू हों मशीनें


 

कोरबा, 20 जून – जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करोड़ों की लागत से खरीदी गई अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों के उपयोग में लापरवाही सामने आई है। डीएमएफ (जिला खनिज निधि) मद से खरीदी गई कई महत्वपूर्ण मशीनें लंबे समय से बंद पड़ी हैं, जिससे मरीजों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

गुरुवार को कलेक्टर अजीत वसंत ने अस्पताल का निरीक्षण किया और हालात देख कर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने ब्लड बैंक में पिछले डेढ़ महीने से बंद पड़ी 40 लाख रुपए की कंपोनेंट सेंट्रीफ्यूज मशीन को लेकर गंभीर नाराजगी जाहिर की। यह मशीन पीआरपी (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) तैयार करने में इस्तेमाल होती है, जो गंभीर मरीजों के इलाज में बेहद जरूरी है।

जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई

कलेक्टर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मशीनें मरीजों की मदद के लिए भेजी गई हैं, न कि शोपीस बनाने के लिए। यदि समय पर इन्हें शुरू नहीं किया गया तो जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जाएगी।

सोनोग्राफी मशीनें भी बनीं परेशानी

निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि अस्पताल में उपलब्ध तीन सोनोग्राफी मशीनों की स्थापना अब तक नहीं हो पाई है। इस पर भी कलेक्टर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और तत्काल मशीनें चालू करने के निर्देश दिए।

नवजात इकाई के लिए नया भवन

इसके साथ ही नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआरसी) के लिए नए भवन की स्वीकृति भी कलेक्टर ने मौके पर ही जारी की, जिससे नवजात शिशुओं के इलाज की सुविधाएं बेहतर हो सकें।

"लापरवाही नहीं चलेगी" – कलेक्टर

कलेक्टर अजीत वसंत ने साफ किया कि अस्पताल प्रशासन अब किसी भी तरह की लापरवाही नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मरीजों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण इलाज मिलना ही प्राथमिकता है। इसके लिए जो भी कदम उठाने हों, वह प्रशासन उठाएगा।

यह निरीक्षण जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया एक सख्त और जरूरी कदम माना जा रहा है।

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