रायपुर राज्य के प्रमुख सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस में पिछले 5 महीनों से बंद पड़े एसी मरीजों के लिए गर्मी और उमस का कारण बने हुए हैं। स्थिति यह है कि मरीजों के परिजन घरों से पंखा लाकर वार्डों में लगाते हैं, फिर भी उमस और गर्मी से राहत नहीं मिल रही। स्वास्थ्य सेवाओं के इस लचर हालात पर अब सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के अल्टीमेटम को 36 दिन बीत चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं।
मंत्री के आदेशों की उड़ रही धज्जियां
28 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अचानक डीकेएस अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस दौरान अधिकांश वार्डों और ओपीडी में एसी बंद मिले थे, जिससे मंत्री ने नाराजगी जताते हुए अस्पताल अधीक्षक और जिम्मेदार अधिकारियों को 24 घंटे में एसी सुधारने का निर्देश दिया था। लेकिन एक महीने से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी वार्डों के एसी अब तक चालू नहीं हो सके हैं।
वार्डों में पंखे भी नहीं दे पा रहे राहत
भास्कर की टीम द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि नेफ्रोलॉजी, डायलिसिस, प्लास्टिक सर्जरी और बाल्य चिकित्सा जैसे वार्डों के सेंट्रल एसी बंद हैं। इन वार्डों में मरीज पंखों और अपने परिजनों द्वारा लाई गई हवा से ही राहत पाने को मजबूर हैं।
बर्न वार्ड में स्टैंड फैन लगे हैं, लेकिन गर्मी इतनी ज्यादा है कि उनका असर भी नहीं दिख रहा। मरीजों के चेहरे पर पसीना साफ नजर आता है और स्टाफ भी इन्हीं पंखों के सहारे ड्यूटी कर रहा है।
डायलिसिस मरीजों की हालत चिंताजनक
डायलिसिस वार्ड में किडनी रोगी उमस और गर्मी में तड़पते नजर आए। सेंट्रल एसी खराब होने के कारण मरीजों को गर्मी से निजात नहीं मिल पा रही। कुछ मरीजों के परिजन अपने साथ पोर्टेबल फैन लेकर आए हैं, तो कुछ कपड़े से हवा कर रहे हैं। यह हाल तब है जब डायलिसिस जैसी सुविधा में मरीजों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
नर्सिंग रूम में एसी चालू, मरीज गर्मी में
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के नर्सिंग स्टाफ रूम में एसी चालू मिला, जबकि ठीक बगल के वार्ड में मरीज गर्मी से बेहाल थे। मरीजों को केवल दीवार में लगे पंखों से ही गर्मी से लड़ना पड़ रहा था।
अधीक्षक ने फिर दोहराया वही जवाब
जब इस बारे में अस्पताल अधीक्षक क्षिप्रा शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने कहा,
“कई वार्डों में एसी चालू हो चुके हैं। कुछ में मेंटेनेंस का काम चल रहा है। मंत्री जी ने जो निर्देश दिए थे, उस पर काम चल रहा है। मरीजों के परिजन कई बार एसी ऑन छोड़ देते हैं जिससे खराबी आती है।"
लेकिन इस जवाब से साफ जाहिर है कि अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है और मंत्री के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया गया।
स्वास्थ्य मंत्री ने जताई नाराजगी, कहा– होगी कार्रवाई
जब इस पूरे मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से बात की गई, तो उन्होंने कहा:
“ये गलत है। एसी अब तक चालू हो जाने चाहिए थे। हमने अल्टीमेटम दिया था। फिर भी अगर अब तक एसी चालू नहीं हुए तो रिपोर्ट मंगवाई जाएगी और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।”
सवालों के घेरे में प्रशासन
डीकेएस जैसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एसी जैसी बुनियादी सुविधा का महीनों तक ठप रहना प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता को उजागर करता है। अस्पतालों में जहां मरीजों को आराम और शांति की जरूरत होती है, वहां गर्मी और घुटन में इलाज कराना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की असफलता को भी दर्शाता है।