सीजी पीएससी-2021: निर्दोष चयनित अभ्यर्थियों को मिली राहत, हाई कोर्ट ने नियुक्ति का आदेश दिया


 

रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) द्वारा वर्ष 2021 में आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में चयनित लेकिन नियुक्ति से वंचित बेदाग अभ्यर्थियों को आखिरकार राहत मिल गई है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने इन अभ्यर्थियों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि जिन चयनित उम्मीदवारों के खिलाफ सीबीआई जांच में अब तक कोई आपत्तिजनक तथ्य सामने नहीं आया है और जिनका नाम चार्जशीट में शामिल नहीं है, उन्हें 10 मई 2024 की वैधता अवधि के भीतर, यानी 60 दिनों के भीतर, नियुक्ति पत्र जारी किए जाएं।

परीक्षा और विवाद की पृष्ठभूमि

सीजी पीएससी ने 26 नवंबर 2021 को कुल 171 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस परीक्षा के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, नायब तहसीलदार, जेल अधीक्षक, लेखाधिकारी समेत राज्य की 20 प्रमुख सेवाओं में भर्ती की जानी थी। प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की लंबी प्रक्रिया के बाद आयोग ने 11 मई 2023 को अंतिम चयन सूची जारी की। इसमें सैकड़ों उम्मीदवारों ने सफलता प्राप्त की।

हालांकि, परिणाम जारी होने के तुरंत बाद ही परीक्षा में अनियमितता के आरोप सामने आने लगे। अभ्यर्थियों और विभिन्न संगठनों ने आरोप लगाए कि परीक्षा प्रक्रिया में धांधली हुई है और कई उच्चाधिकारियों के रिश्तेदारों को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया गया है। इसमें पीएससी के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के परिवारजनों के नाम भी सामने आए। मामला इतना गंभीर हो गया कि राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा।

सीबीआई जांच और नियुक्ति पर रोक

परीक्षा में धांधली के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी। सीबीआई ने प्रारंभिक जांच शुरू करते हुए कुछ अभ्यर्थियों और अधिकारियों के खिलाफ जांच की कार्रवाई की। जांच लंबित रहने के कारण राज्य सरकार ने सभी चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।

इस रोक का सबसे बड़ा खामियाजा उन अभ्यर्थियों को उठाना पड़ा जो पूरी तरह से निर्दोष थे और जिनका न तो किसी प्रकार का आपराधिक रिकॉर्ड था और न ही उनके खिलाफ सीबीआई की जांच में कुछ सामने आया था। इससे नाराज होकर 60 से अधिक अभ्यर्थियों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।

हाई कोर्ट का आदेश और असर

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि वे पूरी तरह से योग्यता के आधार पर चयनित हुए हैं, उनके खिलाफ कोई एफआईआर नहीं है और न ही कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही। नियुक्ति आदेश रोकना उनके साथ अन्याय है।

इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की एकल पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ सीबीआई जांच में कोई प्रतिकूल तथ्य नहीं मिला है और जिनका नाम चार्जशीट में नहीं है, उन्हें नियत समय सीमा के भीतर नियुक्ति पत्र दिए जाएं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता 10 मई 2024 तक सीमित है, इसलिए राज्य सरकार और संबंधित विभागों को आदेश दिए गए कि वे 60 दिनों के भीतर इस निर्णय का पालन सुनिश्चित करें।

कुछ को राहत नहीं

हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि यह राहत सिर्फ उन अभ्यर्थियों को मिलेगी जिनका नाम सीबीआई की चार्जशीट में नहीं है। कुछ याचिकाकर्ताओं को जिनके खिलाफ संदेह के आधार पर कार्यवाही लंबित है या जमानत नहीं मिली है, उन्हें इस आदेश का लाभ नहीं मिलेगा।

Post a Comment

Previous Post Next Post