रायपुर, 29 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मंत्रालय में संविदा पर कार्यरत एक चपरासी ने खुद को क्लर्क बताकर दो युवकों से 20 लाख 50 हजार रुपये ठग लिए। आरोपी ने दावा किया था कि वह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़ा हुआ है और युवकों को सरकारी नौकरी दिलवा सकता है। यह मामला टिकरापारा थाना क्षेत्र का है, जहां शिकायत के बाद पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पीड़ित ने दी विस्तृत जानकारी
टिकरापारा थाना प्रभारी विनय सिंह ने बताया कि इस मामले में जनक कुमार साहू, निवासी भाठागांव रायपुर, ने थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। जनक ने अपनी शिकायत में बताया कि अक्टूबर 2023 में उसकी मुलाकात दधीबल सिंह उर्फ डेविड तिग्गा से हुई थी। डेविड ने खुद को इंद्रावती भवन मंत्रालय में क्लर्क बताया और कहा कि उसकी पहुंच उच्च अधिकारियों तक है। वह आदिम जाति विकास विभाग में निकली भर्ती में मदद कर सकता है।
उस वक्त आदिम जाति अनुसूचित जाति विभाग ने छात्रावास अधीक्षक (हॉस्टल वार्डन) के पद के लिए 300 रिक्तियों की घोषणा की थी। डेविड ने जनक से कहा कि वह उसकी नौकरी पक्की करवा देगा, लेकिन इसके बदले उसे 11 लाख रुपये देने होंगे। जनक ने अपने एक मित्र संजय चौहान की भी नौकरी लगवाने की बात कही। सौदा कुल 20 लाख 50 हजार में तय हुआ।
बैंक ट्रांजैक्शन के जरिए ली गई रकम
जनक और संजय ने अपने हिस्से के पैसे बैंक खातों के माध्यम से डेविड के अकाउंट में जमा करवा दिए। इसके बाद डेविड ने दोनों से हॉस्टल वार्डन की परीक्षा का फॉर्म भरने और एडमिट कार्ड की कॉपी व्हाट्सएप पर भेजने के लिए कहा। युवकों को यह सब कुछ वास्तविक लगा और उन्होंने डेविड पर विश्वास कर लिया।
लेकिन दिसंबर 2024 में जब परीक्षा का रिजल्ट आया, तो दोनों का नाम चयनित अभ्यर्थियों की सूची में नहीं था। जब उन्होंने डेविड से संपर्क किया, तो वह बहाने बनाने लगा। कई बार पूछताछ पर उसने बात टाल दी और अंत में एक 10 लाख रुपये का चेक दिया, जो बाउंस हो गया। यहीं से पीड़ितों को ठगी का अहसास हुआ।
फर्जीवाड़े की गहराई
जांच में सामने आया है कि डेविड तिग्गा दरअसल मंत्रालय में क्लर्क नहीं, बल्कि संविदा पर कार्यरत एक चपरासी है। उसने झूठ बोलकर खुद को क्लर्क बताया और फर्जी तरीके से युवकों से पैसे ऐंठ लिए। डेविड ने यह दावा भी किया कि वह कई लोगों की नौकरी पहले भी लगवा चुका है, जिससे उसका विश्वास और गहरा हो गया।
जनक और संजय जैसे कई अन्य लोग भी हो सकते हैं जो डेविड के झांसे में आ चुके हैं, इसीलिए पुलिस ने उसकी संलिप्तता को लेकर विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच जारी
फिलहाल टिकरापारा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोपी दधीबल सिंह उर्फ डेविड तिग्गा के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारी विनय सिंह ने बताया कि आरोपी की पृष्ठभूमि की भी जांच की जा रही है और उसके बैंक खाते, कॉल रिकॉर्ड और अन्य दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।
पुलिस को आशंका है कि यह कोई अकेला मामला नहीं है और डेविड द्वारा अन्य लोगों को भी इसी तरह ठगा गया हो सकता है। जरूरत पड़ने पर अन्य विभागों और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी का बढ़ता ट्रेंड
यह घटना एक बार फिर इस बात को उजागर करती है कि किस तरह बेरोजगारी और सरकारी नौकरी की चाहत का फायदा उठाकर कुछ लोग भोले-भाले युवाओं को फंसा लेते हैं। मंत्रालय जैसे प्रतिष्ठित स्थानों में कार्यरत कर्मचारी जब इस तरह की ठगी में शामिल हो जाएं, तो यह न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि प्रशासन की साख पर भी सवाल खड़े करता है।
पुलिस प्रशासन ने आम लोगों से अपील की है कि वे किसी भी व्यक्ति द्वारा सरकारी नौकरी के बदले पैसे मांगने की स्थिति में सतर्क रहें और ऐसी गतिविधियों की तत्काल सूचना पुलिस को दें।