रायपुर में 2.83 करोड़ की अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी का खुलासा: दुबई-कंबोडिया कनेक्शन, पांच आरोपी गिरफ्तार


 

रायपुर। विधानसभा रोड स्थित सफायर ग्रीन कॉलोनी की निवासी सोनिया हंसपाल से 2.83 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में रायपुर पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। इस हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करता है और इसका नेटवर्क भारत से लेकर दुबई और कंबोडिया तक फैला हुआ है। ठगी की रकम को विदेश में डॉलर में एक्सचेंज कर वैध कंपनियों के माध्यम से भारत लौटाया जा रहा था।

दुबई से आया था वीडियो कॉल, दिल्ली पुलिस बनकर डराया

डीएसपी क्राइम संजय सिंह ने बताया कि पीड़िता सोनिया हंसपाल को सबसे पहले एक वीडियो कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को दिल्ली पुलिस अधिकारी बताया। यह कॉल दुबई से व्हाट्सएप के माध्यम से किया गया था। इसके बाद 50 दिनों तक लगातार अलग-अलग मोबाइल नंबरों से सोनिया को कॉल कर डराया गया और विभिन्न आरोपों की बात कर बड़ी रकम जमा करवाई गई। सोनिया ने डर के मारे 2.83 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए।

पैसा अलग-अलग राज्यों से होते हुए कंबोडिया पहुंचा

पुलिस जांच में सामने आया है कि पीड़िता से वसूली गई रकम को पहले केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, चंडीगढ़ और दिल्ली के खातों में भेजा गया। वहां से रकम उत्तर प्रदेश के देवरिया स्थित एक खाते में ट्रांसफर की गई। फिर इसे यूएस डॉलर में बदलकर कंबोडिया भेजा गया, जहां फर्जी कंपनियों के जरिए उस पैसे को वैध कारोबार के रूप में भारत में वापस लाया गया। इस तरह साइबर ठगों की अवैध कमाई को सफेद किया जा रहा था।

मास्टरमाइंड आनंद सिंह: बैंकिंग और पासपोर्ट सेवाओं से शुरूआत

गिरफ्तार आरोपियों में से एक आनंद सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया का रहने वाला है और बीए पास है। वह पहले एक संस्था में काम करता था जो पासपोर्ट और वीजा बनवाने का काम करती थी। वहां से उसे विदेश भेजने का अनुभव हुआ और फिर वह साइबर ठग गिरोह के संपर्क में आया। धीरे-धीरे उसने खुद का नेटवर्क खड़ा कर लिया और अब तक 15 से ज्यादा युवाओं को दुबई भेज चुका है। प्रत्येक को वह 40 हजार रुपए मासिक वेतन, आवास और भोजन की व्यवस्था भी देता है।

सिम कार्ड और फर्जी कंपनियों का खेल

गिरोह में शामिल गोरखपुर निवासी आकाश साहू झोपड़ी और सड़क किनारे रहने वाले लोगों की पहचान पर सिम कार्ड खरीदता था। निजी टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर गांव-गांव घूमता था और इन सिम कार्ड को दुबई भेजता था। इन्हीं नंबरों से पीड़िता को कॉल कर डराया गया। सिम व्यवस्था के एवज में आकाश को दो लाख रुपए दिए गए।

वहीं नवीन मिश्रा और अनूप मिश्रा नामक आरोपी फर्जी कंपनियां रजिस्टर करते थे और उनके नाम से चालू खाते खुलवाते थे। इन खातों में ठगी की रकम जमा होती थी। इस काम के लिए दोनों को 90 लाख रुपए मिले हैं।

शेर बहादुर नामक आरोपी दुबई भेजने के लिए युवकों की व्यवस्था करता था और वहीं से ठगी के पैसे निकालकर आनंद सिंह को देता था। उसे इसके लिए 10 लाख रुपए मिले।

बैंक कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध

पुलिस को इस बात का संदेह है कि बैंक के कुछ कर्मचारी भी इस गिरोह से जुड़े हो सकते हैं। क्योंकि चुनिंदा, वरिष्ठ नागरिक या सिंगल अकाउंट होल्डर्स जिनके खातों में बड़ी रकम होती है, उन्हीं को कॉल किया गया है। इस तरह के संवेदनशील मोबाइल नंबर और प्रोफाइल जानकारी ठगों तक कैसे पहुंच रही है, इसकी जांच की जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही कार्रवाई

भारत सरकार ने हाल ही में कंबोडिया सरकार को पत्र लिखकर वहां मौजूद साइबर ठग नेटवर्क पर कार्रवाई की मांग की थी। इस कार्रवाई के तहत कंबोडिया में हाल ही में छापेमारी की गई और 3,075 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 105 भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। रायपुर पुलिस अब इस मामले से जुड़ी कंपनियों और व्यक्तियों की जानकारी भारत सरकार को सौंपेगी, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई तेज हो सके।

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