छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में महिला प्रताड़ना के गंभीर प्रकरणों पर सुनवाई, कई खुलासे


 

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में सोमवार को महिला उत्पीड़न और पारिवारिक प्रताड़ना से जुड़े कई संवेदनशील मामलों पर सुनवाई की गई। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की उपस्थिति में हुई इस सुनवाई में महिलाओं ने अपने साथ हुए अन्याय, धोखाधड़ी और शोषण की दास्तां बयान की। सुनवाई के दौरान दो प्रमुख प्रकरणों ने सबका ध्यान खींचा।

मानसिक रूप से अस्वस्थ युवक से की गई युवती की शादी

पहला मामला एक युवती का था, जिसने आयोग के समक्ष बताया कि उसकी शादी एक मानसिक रूप से अस्वस्थ युवक से कर दी गई, जिसकी जानकारी ससुराल वालों को पहले से थी। बावजूद इसके उन्होंने युवती और उसके परिजनों को इस बारे में कुछ नहीं बताया। पीड़िता के अनुसार, पिछले सात वर्षों से उसके पिता ही उसके पति की देखभाल और इलाज का खर्च उठा रहे हैं। यहां तक कि युवक के परिवार वालों ने कभी एक बार भी इलाज या पालन-पोषण में आर्थिक मदद नहीं की।

युवती ने बताया कि वह कई बार ससुरालवालों से मदद की गुहार लगा चुकी है, लेकिन उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला। न केवल उसे धोखा दिया गया बल्कि मानसिक, आर्थिक और सामाजिक शोषण भी सहना पड़ा। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला आयोग ने युवक को बिलासपुर के मानसिक रोगी अस्पताल, सेंद्री में इलाज के लिए भेजने की अनुशंसा की है। साथ ही, युवती को अगले छह महीनों तक भरण-पोषण के लिए 12 हजार रुपए देने का निर्देश ससुराल पक्ष को दिया गया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में अंतिम निर्णय छह माह बाद सुनाया जाएगा।

बेटी होने पर ससुरालवालों का बर्ताव बदला, जबरदस्ती दी मानसिक रोग की दवा

दूसरे मामले में एक महिला ने आरोप लगाया कि उसकी दो बेटियां हैं और दूसरी बेटी के जन्म के बाद ससुराल वालों का व्यवहार उसके प्रति पूरी तरह बदल गया। महिला के अनुसार, उसकी सास और पति ने दूसरी शादी की तैयारी कर ली थी और उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। महिला ने आरोप लगाया कि सास ने उसे मानसिक रोगी साबित करने के लिए जबरन मानसिक रोग की दवा खिलानी शुरू कर दी। जब महिला ने इसका विरोध किया, तो उसे घर से बाहर निकाल दिया गया और उसकी दोनों बेटियों को भी जबरन उससे छीन लिया गया।

आयोग ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए पीड़िता को तुरंत एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं और संबंधित थाना प्रभारी को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। साथ ही महिला को कानूनी सहायता प्रदान करने की भी अनुशंसा की गई है।

महिला आयोग का रुख सख्त

दोनों ही मामलों में महिला आयोग ने स्पष्ट किया कि महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि यदि कोई परिवार अपनी बहू को मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है, तो ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि बेटियों को जन्म देना कोई अपराध नहीं है और किसी महिला को सिर्फ इस कारण प्रताड़ित किया जाना पूरी तरह से असंवैधानिक और अमानवीय है।

आयोग ने की अपील

आयोग ने प्रदेश की महिलाओं से अपील की है कि यदि उन्हें अपने ससुराल या समाज से किसी भी प्रकार की प्रताड़ना या अन्याय का सामना करना पड़ रहा हो, तो वे बिना डरे आयोग में शिकायत दर्ज कराएं। आयोग का उद्देश्य महिलाओं को न्याय दिलाना और उनके आत्म-सम्मान की रक्षा करना है।

इन मामलों ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि सामाजिक स्तर पर अब भी कई परिवारों में महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। ऐसे में राज्य महिला आयोग की पहल और सक्रिय भूमिका महिलाओं को सुरक्षा और न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


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