छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के थनौद गांव में सैकड़ों परिवारों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। गांव के पारंपरिक मिट्टी के मूर्तिकार भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे दुर्ग-आरंग सिक्स लेन एक्सप्रेसवे की वजह से मुश्किल में आ गए हैं। वजह है अंडरब्रिज की ऊंचाई, जो महज 4 मीटर रखी गई है, जबकि यहां की मूर्तियां 20 फीट तक ऊंची होती हैं।
थनौद गांव शिवनाथ नदी के किनारे बसा है और यहां पिछले पांच दशकों से मिट्टी की भव्य मूर्तियां बनाई जा रही हैं। मूर्तियां छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में भेजी जाती हैं। लेकिन अब अंडरब्रिज की कम ऊंचाई के कारण मूर्तियों की ढुलाई लगभग नामुमकिन हो जाएगी।
मूर्तिकारों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो उनके व्यवसाय पर ताला लग जाएगा। गांव के कारीगरों का कहना है कि इस साल तो किसी तरह से मूर्तियां बाहर भेज दी जाएंगी, लेकिन जब पुल निर्माण पूरा हो जाएगा, तब उनके लिए मूर्तियां बाहर भेजना नामुमकिन हो जाएगा।
मूर्तिकारों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण, सरपंच और जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे पर लामबंद हैं। जिला प्रशासन, विधायक और सांसद से लगातार गुहार लगाई जा रही है। इस मामले में दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कहा कि उन्होंने NHAI के अधिकारियों से बात कर अंडरब्रिज की ऊंचाई बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, कलेक्टर अभिजीत सिंह ने भी NHAI को पत्र भेजा है और समाधान की उम्मीद जताई है।
मूर्तिकारों की प्रमुख मांग है कि अंडरब्रिज की ऊंचाई कम से कम 20 फीट की जाए ताकि उनका कारोबार चलता रहे और पारंपरिक कला बची रह सके। साथ ही वे वैकल्पिक रास्ते की भी मांग कर रहे हैं।
इस मामले में फिलहाल सभी की नजरें प्रशासनिक फैसले पर टिकी हैं।