कांकेर/अंबागढ़ चौकी। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के जंगलों में एक बार फिर से वन्यजीवों की सक्रियता देखी जा रही है। एक ओर महाराष्ट्र की सीमा से भटक कर आए दो दंतैल हाथियों में से एक फिर मानपुर के कोरचा इलाके में लौट आया है, वहीं दूसरी ओर अंबागढ़ चौकी क्षेत्र के जंगलों से सटे रिहायशी इलाकों में तेंदुआ दिखाई देने से लोगों में दहशत का माहौल है। वन विभाग ने दोनों क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर लोगों को सतर्क रहने की अपील की है।
हाथी की वापसी से वन विभाग सतर्क
सोमवार सुबह मानपुर के कोरचा इलाके में एक दंतैल हाथी को देखा गया, जो सड़क के किनारे जंगल में शांति से घूमता नजर आया। स्थानीय ग्रामीणों की सूचना के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पूरे दिन हाथी की गतिविधियों पर नजर रखी। अधिकारियों ने बताया कि हाथी शांत है और अभी तक किसी भी प्रकार की आक्रामकता नहीं दिखाई है।
मानपुर रेंज के रेंजर पंचराम ठाकुर ने बताया कि ग्रामीणों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं और गांवों में मुनादी कराई जा रही है। “हाथी को जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास नहीं किया जा रहा है, क्योंकि वह वर्तमान में किसी भी प्रकार का खतरा नहीं बना रहा है। मगर हम लगातार निगरानी कर रहे हैं ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके,” उन्होंने कहा।
दूसरे हाथी की भी आशंका
बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के जंगलों से दो दंतैल हाथी छत्तीसगढ़ के मानपुर क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे और फिर आगे बढ़ते हुए कांकेर जिले के अंतागढ़ के घने जंगलों की ओर चले गए थे। अब इनमें से एक हाथी फिर से मानपुर की ओर लौट आया है। वन विभाग को संदेह है कि दूसरा हाथी भी आसपास ही मौजूद हो सकता है, हालांकि सोमवार को उसकी कोई उपस्थिति दर्ज नहीं हुई।
वन अमले ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे जंगल के किनारे अकेले न जाएं और रात में विशेष सतर्कता बरतें।
तेंदुए की मौजूदगी से बस्ती में भय का माहौल
दूसरी ओर, अंबागढ़ चौकी क्षेत्र के मेरेगांव वार्ड और आसपास के इलाकों में तेंदुए की सक्रियता फिर से देखी गई है। हाल ही में तेंदुए ने एक बछड़े को अपना शिकार बनाया था। अब तेंदुआ छछानपहरी क्षेत्र में देखा गया है, जो शहर से सटे जंगल का हिस्सा है। तेंदुए की लगातार चहलकदमी से लोगों में डर का माहौल है।
नगर पंचायत प्रशासन ने तेंदुए की मौजूदगी को देखते हुए बस्ती में मुनादी कराकर लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और वृद्धजनों से जंगल या सुनसान रास्तों की ओर न जाने की अपील की गई है।
वन विभाग की टीम क्षेत्र में कैमरा ट्रैप भी लगाने की तैयारी कर रही है ताकि तेंदुए की गतिविधियों पर सटीक निगरानी रखी जा सके। वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बताया कि “हम लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं। ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि पशुओं को खुले में न छोड़े और रात में जरूरी सावधानी बरतें।”
वन्यजीवों की आवाजाही बढ़ने का कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के दौरान भोजन और पानी की तलाश में जंगली जानवर अपनी पारंपरिक सीमाओं से बाहर आ जाते हैं। जंगलों में मानव हस्तक्षेप बढ़ने और खेती-बाड़ी के विस्तार के कारण हाथी और तेंदुए जैसे जानवर रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ने लगे हैं।
वन विभाग का कहना है कि ऐसी घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना जरूरी है। विभाग ने ग्रामीणों को वन्यजीवों से जुड़ी किसी भी सूचना को तुरंत साझा करने के लिए वन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है।