कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भोजन की गुणवत्ता पर उठे सवाल, मरीजों की सहूलियत के लिए आभा ऐप की शुरुआत


 

छत्तीसगढ़ के कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों ने भोजन की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों को दी जा रही दाल और सब्जियों को लेकर लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। मरीजों का आरोप है कि दाल के नाम पर केवल पानी दिया जा रहा है, जबकि सब्जी के नाम पर सांभर जैसा पतला और स्वादहीन भोजन परोसा जा रहा है।

यह मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया है। बताया जा रहा है कि अस्पताल में मरीजों और अटेंडरों को नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी फिलिप्स कंपनी को दी गई है। लेकिन मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि कंपनी द्वारा परोसे जा रहे भोजन में न तो पोषण है और न ही गुणवत्ता। खाने का स्वाद बेहद खराब है और कई बार तो बदबूदार भोजन दिया जाता है।

घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप
आरोप है कि कंपनी द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है और खाना बनाने के मानकों की अनदेखी की जा रही है। कई मरीजों और उनके रिश्तेदारों ने शिकायत करते हुए कहा कि जब वे इस बारे में वार्ड बॉय या भोजन देने वाले स्टाफ से पूछते हैं, तो उन्हें जवाब मिलता है कि "जैसा मिल रहा है, वैसा खाओ"। यह रवैया मरीजों की परेशानियों को और बढ़ा रहा है।

डीन का बयान: कंपनी को नोटिस, सुधार नहीं हुआ तो कार्रवाई
इस मामले में कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. कमल किशोर सहारे ने बताया कि भोजन को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। मरीजों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए फिलिप्स कंपनी को नोटिस जारी किया गया है। यदि जल्द ही भोजन की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ, तो कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मरीजों को अच्छा और पोषक भोजन उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के प्रयास – आभा ऐप की शुरुआत
दूसरी ओर, अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की सहूलियत के लिए तकनीकी सुधार की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। अब मरीज आभा ऐप (ABHA App) के माध्यम से अपना पंजीयन घर बैठे ही कर सकेंगे। यह सेवा विशेष रूप से उन मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होगी, जो ओपीडी में लंबी कतारों से परेशान रहते हैं।

डॉ. सहारे ने बताया कि अस्पताल में रोजाना औसतन 700 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। अब मरीज अपने मोबाइल से ही पंजीयन कर सकेंगे, जिसके बाद ओपीडी में उपस्थित कर्मचारी उस पंजीयन नंबर के आधार पर इलाज की पर्ची तैयार करेंगे। इससे समय की बचत होगी और मरीजों को फालतू भागदौड़ से राहत मिलेगी।

निशुल्क इलाज और डिजिटल सुविधा
आभा ऐप के माध्यम से पंजीयन पूरी तरह निशुल्क रहेगा। इस ऐप की मदद से मरीजों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड भी डिजिटल रूप में सुरक्षित रहेगा, जिसे भविष्य में जरूरत पड़ने पर आसानी से देखा जा सकेगा। यह पहल आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के अंतर्गत की गई है, जिसका उद्देश्य देश के नागरिकों को एकीकृत और तकनीकी रूप से सशक्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है।

मरीजों की मिलीजुली प्रतिक्रिया
जहां एक ओर मरीज भोजन को लेकर नाराज नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर डिजिटल सुविधा की शुरुआत को सराहा जा रहा है। एक मरीज ने कहा, “भोजन बहुत ही घटिया दिया जा रहा है, मगर आभा ऐप की वजह से अब पंजीयन की प्रक्रिया आसान हो गई है।”

निगरानी व्यवस्था होगी सख्त
डीन डॉ. सहारे ने कहा कि आने वाले समय में अस्पताल में हर सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी समिति गठित की जाएगी। यह समिति रोजाना भोजन की जांच करेगी और मरीजों से फीडबैक भी लेगी। किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित एजेंसी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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