(बिलासपुर)। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक अंतर्गत बरद्वार गांव में एक रहस्यमयी प्राकृतिक घटना ने ग्रामीणों को चौंका दिया है। भारी बारिश के बाद ऊपर तक लबालब भरे एक तालाब का पानी महज कुछ घंटों में अचानक गायब हो गया। ग्रामीणों के मुताबिक, तालाब का पानी एक सुरंगनुमा गड्ढे में समा गया, जिससे गांव में दहशत फैल गई है।
तालाब था पूरा भरा, दोपहर तक सूखा
गांव के निवासी रामधनी यादव ने बताया कि 16 जुलाई की सुबह तालाब पूरी तरह से भरा हुआ था। लेकिन दोपहर तक उसमें एक गड्ढा बन गया और सारा पानी तेजी से उसमें समा गया। रामधनी ने कहा, "अपने जीवन में ऐसी घटना पहली बार देखी है। ऐसा लगा मानो जमीन ने सारा पानी निगल लिया।"
गांव के अन्य बुजुर्गों का भी कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी ऐसी घटना नहीं देखी। घटना की सूचना ग्राम पंचायत और तहसील प्रशासन को दी गई है। सरपंच समेत ग्रामीणों ने भूवैज्ञानिकों की टीम मौके पर भेजने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई अधिकारी गांव नहीं पहुंचा।
ग्रामीणों में डर, खेत और घरों को लेकर चिंता
घटना के बाद गांव में भय का माहौल है। लोग बच्चों को तालाब के पास जाने से मना कर रहे हैं। वहीं किसान इस बात से चिंतित हैं कि अगर जमीन और धंसने लगी, तो खेत और घर भी खतरे में आ सकते हैं। गांव के कई लोगों ने बताया कि अब उन्हें अपने ही खेतों में काम करने में डर लगने लगा है।
भूवैज्ञानिकों ने बताया सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया
इस रहस्यमयी घटना को जहां ग्रामीण चमत्कार या अनहोनी मान रहे हैं, वहीं भूवैज्ञानिक इसे 'सिंकहोल' बता रहे हैं। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, बारिश के दौरान या उसके बाद कुछ जगहों पर ज़मीन के नीचे की परतें क्षरित हो जाती हैं और वहां गड्ढा बन जाता है, जिसे सिंकहोल कहा जाता है।
एक भूवैज्ञानिक ने बताया, "यह सामान्य भू-प्राकृतिक प्रक्रिया है, खासकर चट्टानी इलाकों में। पानी जब नीचे की चट्टानों में मौजूद दरारों से मिट्टी और खनिज बहा ले जाता है, तो वहां खाली स्थान बन जाते हैं। ऊपर की परत कमजोर हो जाती है और अचानक धंस जाती है।"
प्रशासनिक निष्क्रियता पर नाराजगी
ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि घटना की जानकारी देने के बावजूद न तो तहसीलदार और न ही कोई तकनीकी टीम मौके पर पहुंची है। सरपंच ने कहा, "यह घटना बड़ी आपदा का संकेत हो सकती है। जल्द से जल्द जांच जरूरी है।"
जांच की मांग तेज
गांववालों ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि सिंकहोल की वैज्ञानिक जांच कराई जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि गांव की ज़मीन और अन्य जलस्रोत सुरक्षित हैं या नहीं। वहीं प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि भूवैज्ञानिकों की टीम को जल्द मौके पर भेजा जाए ताकि किसी भी संभावित खतरे से ग्रामीणों को पहले ही सचेत किया जा सके।