रायपुर, 28 जुलाई।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले से सामने आई तीन आदिवासी बेटियों के कथित मानव तस्करी और मतांतरण के प्रयास की घटना ने पूरे प्रदेश में चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस गंभीर प्रकरण पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे सामाजिक ताने-बाने और महिला सुरक्षा से जुड़ा बेहद संवेदनशील मुद्दा बताया है। मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की बात कही है और साथ ही चेताया है कि सरकार इस तरह के मामलों में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतेगी।
दुर्ग रेलवे स्टेशन से आगरा ले जाया जा रहा था
जानकारी के अनुसार, नारायणपुर की तीन युवतियों को नर्सिंग ट्रेनिंग और बेहतर नौकरी दिलाने का झांसा देकर दो महिलाओं के माध्यम से दुर्ग रेलवे स्टेशन से आगरा ले जाया जा रहा था। ट्रेन में सवार होने से पहले ही इस पूरे मामले की भनक स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों को लगी। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि लड़कियों को उनके परिजनों की सहमति के बिना राज्य से बाहर ले जाया जा रहा था।
स्थानीय पुलिस और बाल कल्याण समिति की त्वरित कार्रवाई से युवतियों को सुरक्षित बचा लिया गया है। वहीं, दो महिलाओं को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है, जो कि 'नन' (ईसाई धार्मिक संस्था की सदस्य) बताई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने जताई गहरी चिंता
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि इसमें मानव तस्करी और मतांतरण की आशंका है। “यह मामला केवल तीन बेटियों का नहीं, बल्कि पूरे समाज की चेतना और सुरक्षा से जुड़ा है,” उन्होंने कहा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा न्यायालयीन प्रक्रिया में है और सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ इस पर काम कर रही है।
“छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय और समावेशी प्रदेश है जहाँ सभी धर्मों और समुदायों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। लेकिन जब बात महिलाओं की सुरक्षा की हो, विशेषकर आदिवासी बहनों की, तो सरकार का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है,” उन्होंने कहा।
राजनीतिक रंग देना दुर्भाग्यजनक
मुख्यमंत्री साय ने इस मामले में किसी भी प्रकार की राजनीतिक टिप्पणी से बचने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग इस प्रकार की संवेदनशील घटनाओं को भी राजनीति का मंच बना लेते हैं।
“बस्तर की बेटियां केवल एक समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की शान हैं। उनकी सुरक्षा और सम्मान हमारी प्राथमिकता है। सरकार इस मुद्दे पर न केवल संवेदनशील है, बल्कि ठोस और कठोर कदम उठाने को तैयार है,” मुख्यमंत्री ने कहा।
जांच एजेंसियों को मिले कड़े निर्देश
इस मामले में गृह विभाग ने विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दिया है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इन युवतियों को धार्मिक संस्था के माध्यम से बाहर ले जाया जा रहा था और उनके दस्तावेज भी अधूरे थे। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि क्या इस प्रकार के और भी मामले पहले सामने आए हैं और कहीं यह कोई संगठित गिरोह तो नहीं है।
मानव तस्करी पर बढ़ी चिंता
छत्तीसगढ़ के बस्तर, नारायणपुर और बीजापुर जैसे आदिवासी बहुल जिलों में पहले भी इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं, जहां गरीबी और अशिक्षा का लाभ उठाकर बच्चियों को बाहर ले जाकर उनका शोषण किया जाता है। इस घटना ने एक बार फिर से राज्य सरकार और सामाजिक संगठनों को सतर्क कर दिया है।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
स्थानीय सामाजिक संगठनों और महिला आयोग ने भी इस घटना पर गंभीर चिंता जताई है। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि आयोग इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि बेटियों को न्याय मिले।