रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और मतांतरण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। 25 जुलाई 2025 को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो मिशनरी सिस्टर्स की गिरफ्तारी के बाद राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है। यह मामला अब सड़कों से लेकर संसद तक पहुंच चुका है। राज्य में लगातार हो रहे घटनाक्रमों ने हिंदू और ईसाई समुदायों के बीच तनाव की स्थिति पैदा कर दी है।
मिशनरी सिस्टर्स की गिरफ्तारी ने मचाई हलचल
दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 25 जुलाई को पुलिस ने दो मिशनरी सिस्टर्स और एक युवक को तीन आदिवासी युवतियों के साथ पकड़ा। उन पर आरोप है कि वे इन युवतियों को उत्तर प्रदेश के आगरा में "काम दिलाने" के बहाने ले जा रहे थे, जबकि असल में यह मामला मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण का बताया जा रहा है। हिंदू संगठनों ने इसे "धर्मांतरण की बड़ी साजिश" बताया है, वहीं ईसाई संगठनों का कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। इस गिरफ्तारी के विरोध में राज्य के कई जिलों में प्रदर्शन हुए, जिनमें दिल्ली तक ईसाई समुदाय के नेताओं ने अपनी आवाज उठाई।
चंगाई सभा में अपमान और धर्मांतरण का आरोप
रायपुर के मितान विहार में 31 जनवरी को हुई चंगाई सभा में भी बड़ा विवाद खड़ा हुआ। आरोप है कि सभा में पादरी द्वारा हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया और चार हिंदू परिवारों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश की गई। पादरी कीर्ति केशरवानी समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। हिंदू संगठनों ने इस घटना को सुनियोजित धर्मांतरण करार दिया।
बिलासपुर और रायपुर में भी गहराया विवाद
28 जुलाई को बिलासपुर के बंदवापारा में "हीलिंग मीटिंग" के नाम पर चल रही सभा को हिंदू संगठनों ने घेर लिया। आरोप था कि वहां हिंदू महिलाओं को ईसाई धर्म की ओर आकर्षित किया जा रहा था। पुलिस ने मौके से दो महिलाओं को हिरासत में लिया। वहीं, 27 जुलाई को रायपुर के WRS कॉलोनी स्थित रेलवे की जमीन पर बने अस्थायी चर्च को बजरंग दल ने घेरकर आरोप लगाया कि वहां प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण किया जा रहा है। पुलिस और रेलवे अधिकारियों ने हस्तक्षेप कर भवन का उपयोग रोकने के निर्देश दिए।
आंकड़ों में देखें टकराव की तस्वीर
छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका नहीं है जब धर्मांतरण का मामला सुर्खियों में आया हो। वर्ष 2021 से लेकर अब तक राज्य में ऐसे 102 टकराव सामने आ चुके हैं, जिनमें से 44 मामलों में FIR दर्ज की गई है। बीते एक साल में ही 23 नए मामले सामने आए हैं। सबसे अधिक विवाद कोरबा, बलरामपुर, महासमुंद, दुर्ग और बिलासपुर में हुए हैं, जबकि सरगुजा, बस्तर और सूरजपुर में अपेक्षाकृत कम घटनाएं दर्ज हुई हैं।
सामाजिक और राजनीतिक असर
इस मुद्दे ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। जहां भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, वहीं कांग्रेस और अन्य दलों का कहना है कि सभी धर्मों को समान अधिकार मिलना चाहिए। राज्य सरकार के लिए यह एक संवेदनशील चुनौती बन गया है क्योंकि एक ओर धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी है, तो दूसरी ओर अवैध धर्मांतरण को रोकना भी ज़रूरी है।