कोरबा में बैंक कर्मियों ने 79 लाख का गबन किया, दोनों आरोपी जेल भेजे गए


 

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें एक्सिस बैंक के मैनेजर और कैशियर ने मिलकर कोरबा नगर निगम की भारी भरकम राशि का गबन किया। यह मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है, जहां बैंक के दो कर्मचारियों ने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये के सरकारी फंड में से लगभग 79 लाख रुपये अपने कब्जे में कर लिए।

कैसे हुआ खुलासा
मामले की शुरुआत तब हुई जब कोरबा नगर निगम के राजस्व वसूली अधिकारी प्रदीप कुमार ने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, जुलाई 2025 में नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा राजस्व वसूली से प्राप्त राशि अलग-अलग किश्तों में एक्सिस बैंक की टीपी नगर शाखा में जमा कराई गई थी। निगम की ओर से बैंक में कुल 91 लाख 68 हजार 42 रुपये जमा करने के लिए दिए गए थे।

हालांकि, बैंक खाते की जांच करने पर यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि निगम के खाते में केवल 12 लाख 25 हजार 768 रुपये ही जमा हुए थे। बाकी 79 लाख 42 हजार रुपये का कोई रिकॉर्ड नहीं था। यह अंतर देखने के बाद निगम अधिकारियों को गड़बड़ी का संदेह हुआ और मामले की जांच शुरू हुई।

आरोपी और उनकी भूमिका
जांच में पाया गया कि एक्सिस बैंक के मैनेजर आशीर्वाद प्रियांशु (29) और कैशियर अरुण मिश्रा (42) ने आपसी मिलीभगत से यह गबन किया। दोनों आरोपी टीपी नगर शाखा में पदस्थ थे और कैश मैनेजमेंट सर्विसेज (CMS) के जरिए फंड का गलत इस्तेमाल कर रहे थे।

निगम से प्राप्त रकम को खाते में जमा करने के बजाय, आरोपियों ने अपने निजी लाभ के लिए इसे हड़प लिया। जांच में पर्याप्त सबूत मिलने के बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ के दौरान दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

पुलिस कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया
कोरबा CSP भूषण एक्का ने बताया कि FIR दर्ज होने के बाद तत्काल जांच शुरू की गई। बैंक और निगम के रिकॉर्ड की तुलना कर गबन की पुष्टि की गई। गिरफ्तारी के बाद आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजने का आदेश मिला।

मामले का महत्व और सीख
यह घटना न केवल सरकारी फंड की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और आंतरिक नियंत्रण की आवश्यकता को भी उजागर करती है। सरकारी और निजी संस्थानों के बीच वित्तीय लेनदेन में कड़े सुरक्षा प्रावधान और नियमित ऑडिट की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

यह मामला इस बात का भी सबूत है कि डिजिटल लेनदेन और आधुनिक बैंकिंग सुविधाओं के बावजूद, यदि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग ईमानदार न हों, तो बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हो सकती है।

आगे की संभावना
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या आरोपियों ने पहले भी इस तरह की हेराफेरी की थी, और क्या इसमें अन्य लोग भी शामिल थे। साथ ही, गबन की गई राशि को वापस लाने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।

इस घटना से कोरबा नगर निगम और अन्य सरकारी संस्थानों को यह सीख मिली है कि वित्तीय लेनदेन में भरोसे के साथ-साथ कड़े निगरानी तंत्र का होना भी जरूरी है।

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