दुर्ग, छत्तीसगढ़ — शहर में शुक्रवार की सुबह एक हृदयविदारक घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। वार्ड 31 आपपुरा निवासी 45 वर्षीय युवराज सार्वा ने कलेक्ट्रेट परिसर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। युवराज छह बच्चों के पिता थे, जिनमें से पांच बेटियां और एक बेटा है। सभी संतानें तैराकी में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं।
युवराज सार्वा हटरी बाजार क्षेत्र में सब्जी और सीजनल सामान की छोटी-सी दुकान लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। परिजनों ने बताया कि वह पिछले कई महीनों से मानसिक रूप से परेशान थे, जिसकी वजह उनका दुकानदार से चल रहा विवाद था।
अस्पताल से निकलकर पहुंचा न्यायालय परिसर
यह घटना शुक्रवार सुबह करीब 4 बजे की है। युवराज को दो दिन पहले स्वास्थ्य खराब होने की वजह से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह इलाज के दौरान भी मानसिक तनाव में थे। शुक्रवार तड़के वह अस्पताल से हाथ में ड्रिप लगी स्थिति में बाहर निकले और सीधे कलेक्ट्रेट न्यायालय परिसर पहुंचे। वहां उन्होंने एक सुनसान जगह में फांसी लगाकर जान दे दी।
सुबह जब लोग ऑफिस परिसर पहुंचे, तो युवराज का शव फंदे से लटका हुआ मिला। इस दिल दहला देने वाली घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई। कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची, शव को नीचे उतरवाया गया और पंचनामा कार्रवाई के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मर्चुरी भेज दिया गया।
दुकानदार की धमकियों से था परेशान
मृतक के बेटे हेमंत सार्वा ने बताया कि उनके पिता हटरी बाजार में एक दुकानदार के सामने दुकान लगाते थे। इस बात को लेकर अक्सर दोनों के बीच विवाद होता रहता था। हेमंत का कहना है कि वह दुकानदार अपने प्रभाव और पहुंच का इस्तेमाल कर उनके पिता को आए दिन धमकाया करता था।
उन्होंने कहा, "हमने कई बार थाने में शिकायत भी की थी, लेकिन उस दुकानदार के डर से किसी ने खुलकर हमारा साथ नहीं दिया। पापा कई बार कहते थे कि अब जीने की इच्छा नहीं बची।"
बच्चों का भविष्य अधर में
मृतक युवराज सार्वा की संतानों की उपलब्धियां बताती हैं कि उनका परिवार कितनी मेहनत और लगन से जी रहा था। सभी बच्चे तैराकी में राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं। इन बच्चों ने अपने संघर्षों के बावजूद राज्य और देश का नाम रोशन किया है।
इस त्रासदी के बाद क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है। आस-पड़ोस के लोग और जान-पहचान के लोग यह समझ नहीं पा रहे कि एक मेहनतकश पिता को इतना बड़ा कदम उठाने पर किस परिस्थिति ने मजबूर किया।
पुलिस कर रही जांच
कोतवाली पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आत्महत्या के पीछे के वास्तविक कारणों की पुष्टि जांच के बाद ही हो सकेगी। फिलहाल, मृतक के परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और जिन लोगों के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना की बात सामने आ रही है, उनकी भी जांच की जाएगी।
पुलिस ने यह भी बताया कि कोर्ट परिसर जैसी जगह में इस प्रकार की घटना सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है, इसलिए मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हर पहलू की गहन जांच की जाएगी।
समाज के लिए सोचने का समय
यह घटना केवल एक आत्महत्या नहीं, बल्कि समाज के उस दर्दनाक पक्ष को उजागर करती है, जहां एक मेहनती इंसान को बार-बार अपमान और उत्पीड़न सहना पड़ता है। जब किसी गरीब की आवाज अनसुनी कर दी जाती है, तब उसका अंतिम सहारा टूट जाता है — और वही हुआ युवराज सार्वा के साथ।
समाज, प्रशासन और सिस्टम के लिए यह आत्मचिंतन का समय है कि किसी को जीते जी न्याय न मिले, तो मरने के बाद न्याय कितना सार्थक रह जाता है?