हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी: बिलासपुर में सिटी बस सेवा बंद, सचिव से मांगा जवाब


 

बिलासपुर शहर में बंद पड़ी सिटी बस सुविधा को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने इस मामले में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से कड़े सवाल किए। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि लोगों की सुविधा से जुड़ी इस महत्वपूर्ण व्यवस्था में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

शपथपत्र पर उठा सवाल

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने परिवहन सचिव एस. प्रकाश को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि उन्होंने अपने शपथपत्र में यह क्यों कहा कि छह में से पांच सिटी बसें चालू हैं, जबकि हकीकत यह है कि बिलासपुर में कोई भी बस सेवा संचालित नहीं हो रही है। इस पर सचिव ने जवाब दिया कि यह जानकारी उन्हें बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर से पत्र के माध्यम से दी गई थी और उसी आधार पर उन्होंने शपथपत्र दायर किया।

चीफ जस्टिस ने इस जवाब पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि कोर्ट में पेश होने वाले शपथपत्र तथ्यों पर आधारित होने चाहिए, न कि केवल किसी पत्राचार पर। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला मानते हुए संबंधित अधिकारियों से व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करने की बात कही।

भुगतान न होने से ठप हुई सेवा

परिवहन सचिव ने आगे बताया कि बिलासपुर जिला शहरी जन सेवा समिति के सचिव (नगर निगम कमिश्नर) ने उन्हें सूचित किया था कि बस ऑपरेटरों को समय पर भुगतान नहीं हो सका। इसी कारण ऑपरेटरों ने सेवा बंद कर दी। दरअसल, लंबे समय से ऑपरेटर निगम से बकाया राशि की मांग कर रहे थे। जब भुगतान नहीं हुआ, तो उन्होंने संचालन रोक दिया।

इस स्थिति ने शहरवासियों को गहरी मुश्किल में डाल दिया है। रोजाना हजारों लोग सिटी बस पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब उन्हें निजी ऑटो और अन्य साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे आर्थिक बोझ बढ़ने के साथ-साथ यातायात पर भी असर पड़ा है।

हाईकोर्ट के निर्देश

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी और इसके लिए नया शपथपत्र भी प्रस्तुत किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने इस आश्वासन को पर्याप्त नहीं माना और कलेक्टर तथा नगर निगम कमिश्नर को स्पष्ट आदेश दिया कि वे व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करें।

कोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारी यह बताएं कि वर्तमान में सिटी बसों की वास्तविक स्थिति क्या है और भविष्य में सेवा बहाल करने के लिए क्या रोडमैप तैयार किया गया है। साथ ही, यह भी स्पष्ट करें कि आम जनता को हो रही परेशानी कम करने के लिए अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं।

अगली सुनवाई 22 अगस्त को

इस पूरे मामले की अगली सुनवाई अब 22 अगस्त को होगी। उस समय कलेक्टर और कमिश्नर के व्यक्तिगत शपथपत्र के साथ सरकार की ओर से प्रस्तुत की जाने वाली कार्ययोजना पर चर्चा होगी। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

जनता की बढ़ी मुश्किलें

बिलासपुर शहर में सिटी बसें आम नागरिकों के लिए सस्ता और सुविधाजनक साधन थीं। खासकर मजदूर, छात्र और मध्यम वर्गीय परिवार इस सेवा पर निर्भर रहते थे। सेवा बंद होने से उन्हें या तो निजी वाहनों पर अधिक किराया देना पड़ रहा है या फिर लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण यह स्थिति बनी है। यदि समय पर ऑपरेटरों को भुगतान किया गया होता तो सेवा नहीं रुकती। अब सवाल यह है कि क्या 22 अगस्त तक कोई ठोस समाधान निकल पाएगा या फिर यह समस्या और लंबी खिंचेगी।


Post a Comment

Previous Post Next Post