बिलासपुर में पिछले कुछ महीनों से अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है, खासकर चाकूबाजी की घटनाओं ने प्रशासन और न्यायालय दोनों को चिंता में डाल दिया है। इसी सिलसिले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और गृह विभाग से कड़े सवाल किए। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बटनदार और डिजाइनर चाकू कोई भी सामान्य घरेलू उपयोग के लिए नहीं खरीदता, ऐसे में इनकी खुली बिक्री और ऑनलाइन उपलब्धता कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है।
सात महीनों में 120 मामले, 7 मौतें और 122 घायल
आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से जुलाई 2025 के बीच बिलासपुर जिले में चाकूबाजी की 120 घटनाएं दर्ज हुई हैं। इनमें 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 122 लोग घायल हुए हैं। मामूली विवाद या झगड़े में धारदार हथियार का इस्तेमाल कर हमला करने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत कुछ कार्रवाइयां जरूर की हैं, लेकिन खतरनाक चाकुओं की आसानी से उपलब्धता ने हालात को और भयावह बना दिया है।
अदालत ने जताई गंभीर चिंता
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु ने कहा कि यह मामला केवल अपराध नियंत्रण का नहीं बल्कि आम जनता की सुरक्षा का है। अदालत ने टिप्पणी की कि रसोई में इस्तेमाल होने वाले सामान्य चाकुओं के नाम पर खतरनाक हथियार बेचे जा रहे हैं। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो कानून-व्यवस्था पर और गहरा संकट आ सकता है।
ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने की जरूरत
हाईकोर्ट ने खासतौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हो रही धारदार चाकुओं की बिक्री पर कड़ी आपत्ति जताई। अदालत ने सवाल उठाया कि राज्य सरकार ने अब तक इन्हें पूरी तरह रोकने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए। इस पर एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन. भारत ने स्वीकार किया कि ऐसे हथियार ऑनलाइन भी बिक रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने कुछ कार्रवाई की है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान पाने के लिए और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
गृह विभाग से मांगा शपथपत्र
हाईकोर्ट ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव को पक्षकार सूची में जोड़ने और तीन दिन के भीतर शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। इस शपथपत्र में यह स्पष्ट करना होगा कि अब तक खतरनाक चाकुओं की बिक्री रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई और भविष्य में किस तरह की रणनीति अपनाई जाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में ढिलाई किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।
अगली सुनवाई 25 अगस्त को
अदालत ने निर्देश दिया है कि पुलिस और गृह विभाग दोनों अगली सुनवाई तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करें, जिसमें यह बताया जाए कि दुकानदारों और ऑनलाइन बिक्री के नेटवर्क पर किस तरह की कार्रवाई की गई है। इस रिपोर्ट को 25 अगस्त 2025 को अदालत में पेश करना अनिवार्य होगा। साथ ही एडवोकेट जनरल को आदेश की प्रति तुरंत प्रमुख सचिव तक पहुंचाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
अपराध पर अंकुश की चुनौती
कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यह साफ है कि धारदार हथियारों की अनियंत्रित बिक्री अपराध को बढ़ावा दे रही है। सामान्य झगड़े से लेकर गंभीर वारदात तक में इनका इस्तेमाल हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रशासन और पुलिस स्तर पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में स्थिति और भयावह हो सकती है।
हाईकोर्ट के इस रुख से यह उम्मीद जताई जा रही है कि अब सरकार मजबूती से कदम उठाएगी। स्थानीय नागरिकों का भी कहना है कि सिर्फ कानून बनाने से नहीं बल्कि इसके सख्त पालन से ही अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है। अब देखना होगा कि 25 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई से पहले प्रशासन किस हद तक कार्रवाई कर पाता है।