एचटीपीएस हादसा : करंट की चपेट में आए कर्मचारी की मौत, मुआवजे और नौकरी की मांग पर हुआ हंगामा


 

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में 7 अगस्त को हसदेव थर्मल पावर स्टेशन (एचटीपीएस) में हुए दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना में ठेका कंपनी जीमैक्स के अधीन कार्यरत कर्मचारी करंट की चपेट में आ गए थे। हादसे में गंभीर रूप से झुलसे दो में से एक कर्मी की 15 अगस्त को रायपुर के अस्पताल में मौत हो गई। मृतक की पहचान सुरेंद्र साहू (25) के रूप में हुई है, जो दर्री क्षेत्र के अयोध्यापुरी का निवासी था।

हादसे की पूरी घटना

जानकारी के मुताबिक, 7 अगस्त को एचटीपीएस यार्ड में क्लीनिंग और टाइटनेस का कार्य चल रहा था। इसी दौरान ठेका कर्मी सुरेंद्र साहू अचानक लाइव ब्रेकर की चपेट में आ गया। उसे बचाने के प्रयास में साइट पर मौजूद जूनियर इंजीनियर आकाश कुजूर भी गंभीर रूप से झुलस गए। दोनों को तत्काल रायपुर के कालड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिनों तक इलाज चला। लेकिन स्वतंत्रता दिवस की सुबह सुरेंद्र ने दम तोड़ दिया, जबकि इंजीनियर आकाश का उपचार अभी जारी है।

मुआवजे और नौकरी की मांग पर परिजनों का विरोध

सुरेंद्र की मौत की खबर मिलते ही उसके परिजन और ग्रामीणों ने अस्पताल और दर्री थाना क्षेत्र में विरोध जताया। मृतक के परिजनों ने स्पष्ट कहा कि परिवार का मुख्य सहारा छिन गया है, इसलिए उन्हें उचित मुआवजा और स्थायी रोजगार चाहिए। हंगामे के बीच प्रशासन और कंपनी प्रबंधन के साथ बातचीत हुई, जिसके बाद समझौता हुआ।

कंपनी और प्रशासन की पहल

हादसे की गंभीरता को देखते हुए कंपनी प्रबंधन ने मृतक के परिवार को 12 लाख रुपए का मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी उपलब्ध कराने पर सहमति जताई। इस आश्वासन के बाद परिजन शांत हुए और मृतक का अंतिम संस्कार किया गया।

पुलिस कार्रवाई और जांच

इस हादसे के बाद दर्री थाना पुलिस ने जीमैक्स कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीतिश ठाकुर ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है और ठेका कर्मियों की सुरक्षा को लेकर हुई लापरवाही को गंभीरता से लिया गया है। पुलिस का कहना है कि अगर जांच में लापरवाही की पुष्टि होती है तो कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा व्यवस्थाओं पर उठे सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों में ठेका कर्मियों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता से नियमों का पालन किया जाता है। अक्सर देखा जाता है कि ठेका कंपनियों को काम तो दे दिया जाता है लेकिन कर्मचारियों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं कराया जाता। एचटीपीएस जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए थी, लेकिन इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि लापरवाही किस हद तक जानलेवा साबित हो सकती है।

परिवार की पीड़ा

25 वर्षीय सुरेंद्र साहू की असमय मौत ने उसके परिवार को गहरा आघात पहुंचाया है। परिजन बताते हैं कि वह परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था और पूरे घर की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। उसकी मौत के बाद परिवार आर्थिक संकट में आ गया। हालांकि, मुआवजे और नौकरी के वादे ने कुछ हद तक परिवार को सहारा दिया है, लेकिन इस नुकसान की भरपाई कभी नहीं हो सकेगी।

आगे की राह

अब देखना होगा कि पुलिस जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और कंपनी के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं। साथ ही यह भी जरूरी है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए उद्योगों को सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू करना होगा।


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