रेलवे सेवा में कमी पर उपभोक्ता फोरम का सख्त रुख, यात्रियों को मिला मुआवजा


 

दुर्ग और रायपुर के जिला उपभोक्ता फोरम ने हाल ही में रेलवे सेवा में कमी के मामलों में महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जिससे यात्रियों के अधिकारों को मजबूती मिली है।

पहला मामला दुर्ग का है, जहां सेक्टर-7 निवासी कुलदीप दुबे अपने परिवार के साथ 30 मई 2019 को कोरबा-यशवंतपुर एक्सप्रेस के बी-1 एसी कोच में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने पत्नी और दो बच्चों के लिए 4,030 रुपये का टिकट बुक कराया था। इनमें उनकी बेटी अनुष्का दुबे दिव्यांग है और उसे मिर्गी की बीमारी है। यात्रा के दौरान एसी खराब हो गया, जिससे परिवार को गर्मी और परेशानी का सामना करना पड़ा। दुबे ने इस समस्या की शिकायत गोंदिया स्टेशन पर दर्ज कराई, लेकिन रेलवे स्टाफ ने एसी को सही बताते हुए कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की।

निराश होकर दुबे ने 20 जुलाई 2020 को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस दायर किया, जिसमें टिकट की राशि के साथ 2 लाख रुपये मानसिक क्षति का दावा किया। सुनवाई के दौरान रेलवे ने अपना पक्ष रखा, लेकिन प्रस्तुत दस्तावेज गलत ट्रेन नंबर से जुड़े थे, जिससे उनका तर्क खारिज हो गया। अंततः फोरम ने रेलवे को सेवा में कमी और व्यावसायिक दुराचरण का दोषी मानते हुए परिवार को 20 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। यह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के इतिहास में संभवतः पहली बार है जब ऐसी स्थिति में रेलवे दोषी पाया गया।

दूसरा मामला रायपुर का है, जहां जून 2015 में राजेश जैन अपने परिवार के साथ मेंगलुरु एक्सप्रेस से मुंबई से उडुकी जा रहे थे। रात में उन्होंने अपना बैग और कपड़े सीट के नीचे रखकर सोया था। सुबह उठने पर देखा कि चूहों ने बैग और कपड़े कुतर दिए थे, जिनकी कीमत लगभग 14 हजार रुपये थी। शिकायत ट्रेन टीटीआई और ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद जैन ने रायपुर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया।

सुनवाई में फोरम ने रेलवे को दोषी पाते हुए 7,000 रुपये मुआवजा और 6% ब्याज देने का आदेश सुनाया।

इन दोनों मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यात्रियों को यात्रा के दौरान मिलने वाली सुविधाओं में कमी, लापरवाही या सुरक्षा में चूक के मामले में उपभोक्ता फोरम का सहारा लेना चाहिए। फिलहाल रायपुर जिला उपभोक्ता फोरम में रेलवे से संबंधित 50 मामले लंबित हैं, जो आने वाले समय में नजीर बन सकते हैं।

ऐसे फैसले न केवल यात्रियों के अधिकारों को मजबूत करते हैं, बल्कि रेलवे प्रशासन को अपनी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी बाध्य करते हैं। उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत, किसी भी यात्री को यात्रा के दौरान वादा की गई सेवा न मिलने पर शिकायत दर्ज करने और मुआवजे का अधिकार है।

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