रायपुर में लूटपाट के दो दोषियों को उम्रकैद: न्यायालय ने कहा – मॉर्निंग वॉक पर निकलने वाले भी अब सुरक्षित नहीं


 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक सनसनीखेज आपराधिक मामले में कोर्ट ने दो लुटेरों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह फैसला समाज में बढ़ती असुरक्षा और अपराध के प्रति कठोर संदेश देने की दिशा में अहम माना जा रहा है। 1 सितंबर 2022 की सुबह जब शहर के एक सामान्य नागरिक देवेंद्र साहू अपनी सेहत के लिए मॉर्निंग वॉक पर निकले थे, तब उन पर जानलेवा हमला कर लूट की वारदात को अंजाम दिया गया था। तीन साल बाद इस केस में रायपुर की जिला अदालत ने एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

क्या था पूरा मामला

घटना 1 सितंबर 2022 की सुबह करीब पौने पांच बजे की है। देवेंद्र साहू रोज की तरह मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। जब वे गोंदवारा क्षेत्र के एकता नगर के पास पहुंचे, तभी एक्टिवा सवार दो युवक अचानक उनके पास आकर रुके। उनमें से एक युवक ने देवेंद्र का कॉलर पकड़ा और दूसरे ने चाकू से हमला कर दिया। देवेंद्र ने जब चाकू को रोकने की कोशिश की तो उनकी हथेली कटकर अलग हो गई।

हमले के तुरंत बाद बदमाशों ने देवेंद्र की जेब से करीब 13 हजार रुपये का मोबाइल फोन लूटा और फरार हो गए। लेकिन देवेंद्र ने साहस दिखाते हुए भागते हुए उनकी एक्टिवा का नंबर नोट कर लिया और खून से लथपथ हालत में खुद थाने पहुंचे। उन्होंने घटना की रिपोर्ट गुढ़ियारी थाना में दर्ज करवाई।

जांच में तत्परता, आरोपी पहुंचे सलाखों के पीछे

एफआईआर दर्ज होते ही पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की और एक्टिवा नंबर के आधार पर आरोपियों की पहचान की। कुछ ही दिनों में पुलिस ने दोनों आरोपियों – शेख शब्बीर (24) और आशीष मिर्झा उर्फ लियॉन उर्फ बबलू (25) – को गिरफ्तार कर लिया। दोनों ही रायपुर के निवासी थे और पूर्व में भी आपराधिक प्रवृत्ति के रहे हैं।

पुलिस ने अदालत में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जिसमें चश्मदीद गवाह, मेडिकल रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और वाहन नंबर की पुष्टि जैसी तमाम ठोस सबूत थे। तीन वर्षों तक चली सुनवाई के बाद आखिरकार कोर्ट ने इन दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

कोर्ट का सख्त रुख – अपराधियों के लिए कोई रहम नहीं

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेश शर्मा की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा – “यह केवल एक चोट का मामला नहीं है, यह सामाजिक चिंता का विषय है। जब मॉर्निंग वॉक पर निकले व्यक्ति पर जानलेवा हमला होता है तो पूरा समाज भयभीत होता है। इससे आम नागरिकों का जीवन असुरक्षित प्रतीत होता है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि रायपुर जैसे शहर में जहां हजारों लोग रोजाना सुबह-सुबह वॉक या व्यायाम के लिए निकलते हैं, वहां इस प्रकार की घटनाएं न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं बल्कि समाज में भय का माहौल भी बनाती हैं। इसी वजह से अदालत ने न्यूनतम सजा के स्थान पर आजीवन कारावास की सजा देने का निर्णय लिया।

आरोपियों पर जुर्माना भी – पीड़ित को न्याय

अदालत ने दोनों आरोपियों पर आर्थिक दंड भी लगाया है। शेख शब्बीर पर ₹40,000 और आशीष मिर्झा पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया गया है। यह राशि पीड़ित के पुनर्वास और चिकित्सा में सहयोग के लिए भी प्रयुक्त की जाएगी।

देवेंद्र की बहादुरी बनी मिसाल

इस पूरे मामले में देवेंद्र साहू की बहादुरी और सूझबूझ की चर्चा पूरे शहर में हो रही है। अपनी हथेली कटने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपराधियों की पहचान में अहम भूमिका निभाई। उनकी तत्परता के कारण ही अपराधी जल्द पकड़े गए और कानून के शिकंजे में आए।

संदेश समाज के लिए – अपराध के विरुद्ध सख्ती आवश्यक

यह फैसला उन लोगों के लिए एक सबक है जो सोचते हैं कि छोटी-छोटी लूट की घटनाएं गंभीर नहीं होतीं। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी नागरिक पर धारदार हथियार से हमला करके उसकी जान को खतरे में डालते हुए लूट की जाती है, तो यह सबसे गंभीर अपराधों में गिना जाएगा।

इस फैसले से न्यायिक व्यवस्था का वह रूप सामने आता है जो समाज की सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। अब आवश्यकता है कि पुलिस और प्रशासन भी इस दिशा में लगातार सक्रियता दिखाएं और मॉर्निंग वॉक, व्यायाम, या यात्रा पर निकले आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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