छत्तीसगढ़ से होकर गुजरने वाली ट्रेनों के नियमित संचालन में एक बड़ा व्यवधान आने वाला है। रेलवे ने जानकारी दी है कि बिलासपुर-झारसुगुड़ा रेलखंड पर चौथी लाइन बिछाने के कार्य के कारण 31 अगस्त से 15 सितंबर तक कुल 50 से ज्यादा ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। इनमें से 30 से ज्यादा ट्रेनें पूरी तरह रद्द रहेंगी, 6 ट्रेनों के मार्ग में बदलाव किया गया है और 5 ट्रेनों को उनके गंतव्य से पहले ही शॉर्ट टर्मिनेट कर दिया जाएगा। यह निर्णय दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा लिया गया है और इसका सीधा असर छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों के यात्रियों पर पड़ने वाला है।
रेलवे का विकास कार्य बना यात्रियों की परेशानी की वजह
रेलवे प्रशासन का कहना है कि यह कार्य एक जरूरी विकास योजना का हिस्सा है। बिलासपुर से झारसुगुड़ा तक 206 किलोमीटर की चौथी रेल लाइन बिछाई जा रही है, जिसमें से अब तक 150 किलोमीटर का कार्य पूरा हो चुका है। अब इस योजना के तहत रायगढ़ रेलवे स्टेशन को भी चौथी लाइन से जोड़ा जाना है। यह कार्य 31 अगस्त से 15 सितंबर तक अलग-अलग चरणों में किया जाएगा।
हालांकि रेलवे का दावा है कि यह काम इस तरह से किया जाएगा जिससे यात्रियों को न्यूनतम परेशानी हो, लेकिन 16 दिनों तक दर्जनों ट्रेनें रद्द रहने से यह साफ है कि हजारों यात्रियों की यात्रा प्रभावित होगी। खासकर बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा जैसे राज्यों की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
रद्द और परिवर्तित ट्रेनें: सफर की योजना बनाने वालों को झटका
रेलवे ने जिन ट्रेनों को रद्द किया है उनमें एक्सप्रेस और पैसेंजर दोनों तरह की ट्रेनें शामिल हैं। यह ट्रेनों का नेटवर्क उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ता है। त्योहारों के मौसम के नजदीक आने के कारण इन ट्रेनों में पहले से ही भारी भीड़ होती है। ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर ट्रेनों का रद्द होना सामान्य यात्रियों के लिए सिरदर्द बन सकता है।
वहीं 6 ट्रेनों के रूट को डायवर्ट कर दिया गया है, जिससे उनका संचालन वैकल्पिक मार्ग से होगा, लेकिन इससे उनकी यात्रा अवधि बढ़ सकती है। साथ ही 5 ट्रेनों को उनके गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही समाप्त कर दिया जाएगा, यानी यात्रियों को बीच रास्ते में ही उतरना पड़ेगा और उन्हें आगे की यात्रा के लिए दूसरी व्यवस्था करनी होगी।
विकास कार्य की ज़रूरत और संभावित लाभ
रेलवे ने इस परियोजना को भविष्य में बेहतर सेवाएं देने वाला कदम बताया है। बिलासपुर-झारसुगुड़ा सेक्शन एक अत्यंत व्यस्त रेल मार्ग है, जिससे होकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रेनें गुजरती हैं। तीन लाइनों में बढ़ती भीड़ को देखते हुए चौथी लाइन का निर्माण एक रणनीतिक आवश्यकता बन गया है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद:
-
नई ट्रेनों के संचालन की संभावना बढ़ेगी
-
वर्तमान ट्रेनों की रफ्तार और समयबद्धता में सुधार होगा
-
ट्रैफिक कंजेशन कम होगा
-
यात्रियों को सुविधाजनक और सुलभ यात्रा मिलेगी
यानी थोड़े समय की असुविधा के बदले लंबी अवधि में यात्री लाभान्वित होंगे।
यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
इस योजना की सबसे बड़ी आलोचना इस बात को लेकर हो रही है कि रेलवे ने अभी तक यात्रियों के लिए कोई ठोस वैकल्पिक परिवहन या कनेक्टिविटी प्लान नहीं दिया है। हजारों यात्री जो पहले से टिकट बुक कर चुके हैं, अब या तो टिकट कैंसिल करवा रहे हैं या महंगे दाम पर फ्लाइट या बस की टिकट लेने को मजबूर हैं।
रेलवे द्वारा ट्रेनों की लिस्ट सार्वजनिक की गई है लेकिन कई यात्रियों को इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है, जिससे उनकी यात्रा के दिन ही उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
पर्यटन, व्यापार और छात्रों पर असर
छत्तीसगढ़ से होकर गुजरने वाले मार्ग न सिर्फ घरेलू यात्रियों बल्कि व्यवसायिक यात्रियों, छात्रों और पर्यटकों के लिए भी जरूरी हैं। अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं, फेस्टिव सीजन और अन्य गतिविधियों के चलते रेल यात्राओं में बढ़ोतरी होती है।
रेलवे का कहना है कि कार्य को निर्धारित समय से पहले पूरा करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन अभी तक इसकी कोई ठोस समयसीमा नहीं दी गई है।
स्थानीय व्यापार पर भी प्रभाव
रेलवे यातायात बाधित होने से छत्तीसगढ़ के स्थानीय व्यापारियों और व्यापारिक संगठनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां मालवाहक ट्रेनों पर निर्भरता अधिक है, वहां सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है।