सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक और डॉक्टरों की भारी कमी, नए सत्र पर संकट


 

छत्तीसगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 15 सितंबर के बाद से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होने जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती चिकित्सकों और चिकित्सा शिक्षकों की भारी कमी को दूर करना है। स्थिति यह है कि अस्पतालों में मरीजों के इलाज से लेकर मेडिकल विद्यार्थियों की पढ़ाई तक प्रभावित हो रही है।

राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों में कुल 48 प्रतिशत से अधिक पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक विभाग में प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक की तय संख्या होना जरूरी है, लेकिन हकीकत यह है कि किसी भी कॉलेज में यह मानक पूरा नहीं हो पा रहा। नतीजा यह है कि अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो रही हैं और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही।

विशेषज्ञों का कहना है कि कम वेतन, पदोन्नति की व्यवस्था न होना और संविदा पदों की अस्थिरता के चलते योग्य चिकित्सक यहां नौकरी करने से बच रहे हैं। इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई, प्रैक्टिकल प्रशिक्षण और रिसर्च कार्य पर पड़ रहा है। इससे न केवल विद्यार्थियों का भविष्य प्रभावित हो रहा है बल्कि कॉलेजों की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है।

कांकेर, कोरबा और महासमुंद में स्थिति बेहद खराब

प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, अंबिकापुर, कांकेर, कोरबा, महासमुंद और दुर्ग में मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इनमें से कांकेर, कोरबा और महासमुंद में स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। कांकेर मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक के 24 पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 3 पद ही भरे गए हैं। सह प्राध्यापक के 33 में से 5 और सहायक प्राध्यापक के 46 में से केवल 12 पद ही कार्यरत हैं।

कोरबा में हालत और भी खराब है। यहां प्राध्यापक के 24 में से 21, सह प्राध्यापक के 33 में से 23 और सहायक प्राध्यापक के 46 में से 22 पद रिक्त हैं। महासमुंद में भी 24 प्राध्यापकों में से 17, 33 सह प्राध्यापकों में से 13 और 46 सहायक प्राध्यापकों में से 26 पद खाली हैं।

आंकड़े बताते हैं गंभीर तस्वीर

प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत 2660 पदों में से केवल 1360 पद भरे हुए हैं। 1290 पद रिक्त हैं, जो कुल स्वीकृत पदों का 48.5 प्रतिशत है। इनमें प्राध्यापक के 241 पदों में से 117, सह प्राध्यापक के 399 पदों में से 196 और सहायक प्राध्यापक के 644 पदों में से 332 खाली हैं। सबसे गंभीर स्थिति सीनियर रेसीडेंट्स की है, जिनमें 518 स्वीकृत पदों में से 375 रिक्त हैं।

सरकार की तैयारी और प्रयास

चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिखा राजपूत तिवारी ने बताया कि सहायक प्राध्यापकों के 125 पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इसके अलावा सभी कॉलेज डीन को संविदा पदों पर नियुक्ति के निर्देश दिए गए हैं।

वहीं, स्वास्थ्य विभाग की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि चिकित्सकों के 1079 पदों को लोक सेवा आयोग से भरने का प्रस्ताव भेजा गया है। साथ ही विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 650 पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

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