रायपुर – राजधानी रायपुर में एक बार फिर पूर्व महिला थाना प्रभारी वेदवती दरियों विवादों में घिर गई हैं। इस बार मामला गंभीर आरोपों से जुड़ा है। वेदवती दरियों और उनके स्टाफ के खिलाफ एक महिला की बेरहमी से पिटाई करने के आरोप में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई है। दिलचस्प बात यह है कि वही वेदवती दरियों जुलाई 2024 में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के हत्थे चढ़ चुकी हैं, जब उन्हें 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था।
मार्च 2024 की घटना, कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर
मामला मार्च 2024 का है जब आसिफ अली और उसकी पत्नी यास्मीन फातिमा के बीच घरेलू विवाद के चलते दोनों महिला थाने पहुंचे थे। यास्मीन अपनी मां नसीमा बेगम और भाई वसीम खान के साथ थाने पहुंची थी, जबकि आसिफ अली अकेले आया था। उस समय थाने में वेदवती दरियों प्रभारी थीं।
काउंसलिंग के दौरान पति-पत्नी के बीच कहासुनी और गाली-गलौज शुरू हो गई। यास्मीन का आरोप है कि थाने में मौजूद अधिकारी वेदवती दरियों ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और सिर्फ उसके परिवार को ही दोषी ठहराया। जब विवाद और बढ़ा, तो दरियों ने सब इंस्पेक्टर शारदा वर्मा और कांस्टेबल फगेश्वरी कंवर के साथ मिलकर यास्मीन और उसके परिजनों की डंडे और बेल्ट से पिटाई कर दी।
पीड़िता के अनुसार, इस मारपीट के कारण उसकी गर्दन और पीठ पर गंभीर चोटों के निशान आ गए थे। घटना के बाद, वेदवती दरियों ने कोतवाली थाने में उल्टा यास्मीन और उसके परिवार के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई थी।
कोर्ट की शरण में गई पीड़िता, मिला इंसाफ
थाने में न्याय न मिलने के बाद यास्मीन ने कोर्ट की शरण ली और वेदवती दरियों, उनके स्टाफ और अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कोतवाली पुलिस को आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। अब इस केस में महिला थाना प्रभारी, सब इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल के खिलाफ जांच शुरू हो चुकी है।
पहले भी घूस लेते हुए हुई थीं गिरफ्तार
यह पहली बार नहीं है जब वेदवती दरियों पर आरोप लगे हों। जुलाई 2024 में वह एसीबी की कार्रवाई में रंगे हाथ घूस लेते पकड़ी गई थीं। एक महिला ने शिकायत की थी कि वह अपने पति की प्रताड़ना से परेशान थी और एफआईआर दर्ज करवाना चाहती थी, लेकिन थाना प्रभारी वेदवती दरियों ने इसके एवज में 50 हजार रुपये की मांग की।
बाद में सौदा 35 हजार रुपये में तय हुआ और पीड़िता ने एसीबी से संपर्क किया। एसीबी ने योजना बनाकर केमिकल लगे नोट महिला को देकर थाने भेजा और जैसे ही दरियों ने पैसे लिए, रेड मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके हाथ पर केमिकल के निशान भी पाए गए। इस घटना के बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया था।
पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल
एक महिला थानेदार पर इस तरह के दो गंभीर आरोपों ने पुलिस प्रशासन की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। न केवल एक महिला की पिटाई का मामला बल्कि रिश्वतखोरी जैसे अपराध में गिरफ्तारी से यह साबित होता है कि कानून की रक्षक कही जाने वाली जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ अफसर खुद कानून तोड़ने में संकोच नहीं करते।
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार की कार्रवाई किस दिशा में जाती है और दोषियों को कब तक न्यायिक सजा मिलती है।