बालोद: आदिवासी समाज का जमीन वापसी के लिए बड़ा आंदोलन, भूख हड़ताल पर बैठे सैकड़ों लोग
बालोद जिले के वनांचल ग्राम कर्रेझर में आदिवासी समाज ने जमीन माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा के सामने राजराव पठार में सैकड़ों आदिवासी परिवार भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनका आरोप है कि जमीन माफियाओं ने सेठ-साहूकारों की मदद से उनकी जमीन हड़प ली है और अब उन जमीनों को सामान्य कर करोड़ों में बेचा जा रहा है। आदिवासी समाज का कहना है कि जब तक उनकी जमीनें वापस नहीं दी जातीं, तब तक वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।
लाखों की जमीनों का खेल, आदिवासियों का शोषण
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे यमुना लाल सलाम का कहना है कि आदिवासियों से उनकी जमीनें धोखे से ली गईं। सेठों और जमीन माफियाओं ने आदिवासियों के नाम का इस्तेमाल कर जमीन खरीदी और फिर उसे ऊंचे दामों पर बेच दिया। इन जमीनों पर अब फॉर्म हाउस बनाए जा रहे हैं, जिनकी कीमत करोड़ों में पहुंच गई है। विनोद नेताम, एक आदिवासी युवक, ने बताया कि उनकी देव भूमि पर हड़ताल हो रही है और यह भूमि आदिवासियों के अधिकार का प्रतीक है।
सरकार से कोई सुनवाई नहीं, हाईवे जाम की चेतावनी
इस आंदोलन में लगभग 20 आदिवासी परिवार शामिल हैं, जिनकी जमीनें बेहद कम कीमत में बेची गईं थीं और अब करोड़ों में बेची जा रही हैं। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बस्तर-रायपुर नेशनल हाईवे जाम कर देंगे। इस भूख हड़ताल की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने मौके पर पुलिस बल और एम्बुलेंस तैनात कर दिए हैं ताकि किसी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
आदिवासी समाज के आंदोलन ने इलाके में बड़ी हलचल मचा दी है, और सरकार से उम्मीद है कि जल्द ही कोई हल निकलेगा।
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