RG Kar Case: 7 महीने बाद भी नहीं मिला दुष्कर्म-हत्या पीड़िता का मृत्यु प्रमाणपत्र, पिता बोले – "दर-दर भटक रहे, अधिकारी कर रहे परेशान"
कोलकाता के RG Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दुष्कर्म और हत्या की शिकार हुई 31 वर्षीय प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के परिवार को न्याय के लिए 7 महीने से संघर्ष करना पड़ रहा है। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया है कि बेटी की मौत के इतने महीने बीत जाने के बावजूद उन्हें उसका मृत्यु प्रमाणपत्र तक नहीं मिला। प्रशासन की लापरवाही और अधिकारियों की बेरुखी के कारण वह दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
"अधिकारियों ने हमें असहाय छोड़ दिया"पड़िता के पिता का कहना है कि स्वास्थ्य भवन (स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय), अस्पताल प्रशासन और कोलकाता नगर निगम के अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे। जब भी वह प्रमाणपत्र के लिए जाते हैं, तो अलग-अलग विभागों में भेजकर परेशान किया जाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम को इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं है, जबकि सीएम ममता खुद स्वास्थ्य मंत्री भी हैं।
9 अगस्त 2024 को ऑन-ड्यूटी डॉक्टर की हुई थी हत्या गौरतलब है कि 9 अगस्त 2024 को कोलकाता के सरकारी RG Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ऑन-ड्यूटी महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। इस जघन्य अपराध ने पूरे देश को झकझोर दिया था। कोर्ट के आदेश पर CBI ने इस मामले की जांच की और दोषी नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई।
सुवेंदु अधिकारी ने उठाए सवाल – "7 महीने बाद भी प्रमाणपत्र नहीं!"पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए सरकार को घेरा है। उन्होंने एक्स (Twitter) पर लिखा –
"अभया का अंतिम संस्कार 9 अगस्त 2024 को चुपचाप कर दिया गया। लेकिन अजीब बात यह है कि उसके माता-पिता को अभी तक मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिला है। वे दर-दर भटक रहे हैं। आखिर सरकार कब जागेगी?"
"तकनीकी कारणों का बहाना बना रहे अधिकारी"
भाजपा नेता का आरोप है कि स्वास्थ्य भवन, कोलकाता नगर निगम और RG Kar मेडिकल कॉलेज के अधिकारी तकनीकी बहानों का सहारा लेकर प्रमाणपत्र जारी नहीं कर रहे। परिवार को एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर और एक टेबल से दूसरे टेबल तक दौड़ाया जा रहा है।
CBI जांच की मांग
सुवेंदु अधिकारी ने CBI से पूरे मामले की जांच करने की मांग की। उन्होंने ममता बनर्जी और मेयर फिरहाद हकीम से अपील की कि पीड़िता के माता-पिता को और परेशान न किया जाए और उन्हें जल्द से जल्द मृत्यु प्रमाणपत्र सौंपा जाए।
"आखिर कब मिलेगा न्याय?"
एक तरफ प्रशासन न्याय दिलाने का दावा करता है, वहीं दूसरी तरफ एक पीड़ित परिवार 7 महीने से सिर्फ एक कागज़ के लिए भटकने को मजबूर है। क्या ममता सरकार इस पीड़ा को सुनेगी? क्या न्याय की राह इतनी कठिन होनी चाहिए? इस सवाल का जवाब अब पूरे देश को चाहिए!