फिल्टर प्लांट के लिए BSP प्रबंधन की ओर उम्मीदें, जमीन के अभाव में अटका प्रोजेक्ट

प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने वाला निगम खुद ‘प्रॉपर्टी’ को तरसा!फिल्टर प्लांट के लिए BSP प्रबंधन की ओर उम्मीदें, जमीन के अभाव में अटका प्रोजेक्ट...

रिसाली (CG News): रिसाली नगर निगम, जो खुद प्रॉपर्टी टैक्स वसूलता है, आज अपनी ही ज़मीन के लिए तरस रहा है! अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट बनाने की योजना केवल कागजों तक सीमित रह गई है, क्योंकि जमीन का अभाव इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के आड़े आ रहा है। एक बार फिर निगम प्रशासन को भिलाई स्टील प्लांट (BSP) प्रबंधन की ओर उम्मीदें लगानी पड़ रही हैं।



खुद की ज़मीन नहीं, उधार के भवन में संचालन

रिसाली नगर निगम प्रदेश का एकमात्र ऐसा निगम है, जिसके पास खुद की कोई जमीन नहीं है। यहां तक कि उसका मुख्यालय भी भिलाई इस्पात संयंत्र के उधार लिए गए भवन में संचालित हो रहा है। भिलाई नगर निगम से अलग होकर बने इस निगम को अब अपनी पेयजल व्यवस्था विकसित करनी है, लेकिन जमीन के अभाव में यह योजना अधर में लटक गई है। फिलहाल पानी के लिए रिसाली निगम, भिलाई निगम पर निर्भर है।

अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट की योजना पर ब्रेक!

पहले BSP प्रबंधन द्वारा 300 एकड़ भूमि हस्तांतरित की गई थी, लेकिन वह अब घनी आबादी से घिर चुकी है और इस प्रोजेक्ट के लिए अनुपयोगी साबित हो रही है। नगर निगम रिसाली, अमृत मिशन 2.0 के तहत अपने 1.30 लाख निवासियों के लिए अपनी पेयजल आपूर्ति प्रणाली स्थापित करना चाहता है। इसके लिए 30 एमएलडी क्षमता का अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट बनाने की योजना है, लेकिन जमीन की अनुपलब्धता इस प्रोजेक्ट को पटरी से उतार रही है।

BSP-नगर निगम-सिंचाई विभाग की बैठक तय

नगर निगम प्रशासन एक बार फिर भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन से मदद की आस लगाए बैठा है। इस संबंध में 3 अप्रैल को नगर निगम रिसाली, BSP प्रबंधन और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक होने जा रही है, जिसमें इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी।

CSVTU का ऑफर निगम के विचाराधीन

इस बीच, छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी (CSVTU) ने भी एक प्रस्ताव दिया है। CSVTU ने फिल्टर प्लांट के लिए 5 एकड़ भूमि देने की पेशकश की है, लेकिन इसके बदले में वह हर दिन 4.5 लाख लीटर पानी की मांग कर रहा है। यदि यह समझौता होता है, तो निगम मरोदा डेम से पानी लिफ्ट करेगा, जिसे CSVTU के निकट स्थित फिल्टर प्लांट में शुद्ध किया जाएगा और फिर इसे नगर निगम के 34 वार्डों में आपूर्ति की जाएगी।

क्या मिलेगा फायदा?

30 एमएलडी क्षमता का अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट

इंटक वेल और डब्ल्यूटीपी का निर्माण

25 साल तक के लिए दीर्घकालीन समाधान

1.50 लाख से अधिक आबादी को मिलेगा शुद्ध पेयजल

‘पेयजल उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता’

आशुतोष सारस्वत, कार्यपालन अभियंता, तांदुला जल संसाधन विभाग, दुर्ग का कहना है कि, "रिसाली नगर निगम से अमृत मिशन-2 के तहत 30 एमएलडी पानी की डिमांड प्राप्त हुई है। हमारी प्राथमिकता लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। इसके लिए तांदुला जलाशय या अन्य स्रोतों से पानी लेकर व्यवस्था बनाई जाएगी।"

क्या निगम प्रशासन को मिलेगी राहत?

अब देखना यह है कि 3 अप्रैल को होने वाली बैठक में इस परियोजना को जमीन मिलेगी या नहीं। क्या रिसाली नगर निगम अपनी पेयजल समस्या का स्थायी समाधान निकाल पाएगा, या फिर एक बार फिर यह योजना फाइलों में ही दबकर रह जाएगी? इसका जवाब जल्द ही सामने आएगा।



Post a Comment

Previous Post Next Post