रायपुर, छत्तीसगढ़ | 27 मई 2025 — छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के चलते वन्य प्राणियों के शिकार और उनके अवशेषों की तस्करी का गोरखधंधा थमने का नाम नहीं ले रहा। रायपुर इस अवैध व्यापार का केंद्र बनता जा रहा है, जहां तांत्रिक गतिविधियों के लिए वन्य जीवों के अंगों की खुलेआम खरीद-फरोख्त हो रही है। ताजा मामले में वन विभाग की रेंज स्तरीय फ्लाइंग टीम ने हिरण की खाल और पांच सींग के साथ तीन आरोपियों को धर दबोचा है।
इस कार्रवाई को 27 मई की दोपहर को अंजाम दिया गया। फ्लाइंग टीम को मुखबिर से सूचना मिली थी कि बोलेरो वाहन में तीन लोग वन्य जीवों के अवशेष लेकर रायपुर में सौदे के लिए जा रहे हैं। सूचना मिलते ही टीम प्रभारी दीपक तिवारी के नेतृत्व में विधानसभा–बलौदाबाजार रोड पर घेराबंदी की गई और एक निजी स्कूल के पास वाहन को रोककर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार आरोपियों में रायपुर के पेंशनबाड़ा निवासी आनंद श्रीवास्तव, कसडोल के तुलाराम पटेल और भागीरथ पैकरा शामिल हैं। टीम ने आरोपियों के पास से एक हिरण की खाल और पांच सींग बरामद किए हैं। प्रारंभिक पूछताछ में आनंद श्रीवास्तव, जो स्वयं को तांत्रिक बताता है, ने बताया कि वह खाल का इस्तेमाल लक्ष्मी पूजा और तांत्रिक क्रियाओं में करने वाला था।
आरोपियों ने कबूला कि इस सौदे की कीमत ढाई लाख रुपये तय की गई थी। खाल लगभग छह महीने पुरानी बताई जा रही है, जिसे भागीरथ ने संग्रहित कर रखा था और आनंद के कहने पर सौदे के लिए लाया गया था।
वन विभाग के मुताबिक, आनंद श्रीवास्तव पहले भी हथियारों के साथ जंगलों में पकड़ा जा चुका है, जबकि भागीरथ भी बारनवापारा के जंगलों में फंदा लगाते हुए वनकर्मियों के हत्थे चढ़ चुका है। तीनों आरोपियों के विरुद्ध वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
बारनवापारा और पिरदा बन रहे शिकारियों के लिए सुरक्षित ठिकाने
बारनवापारा और पिरदा के जंगल शिकारियों के लिए आसान टारगेट बनते जा रहे हैं। 26 मई को बलौदाबाजार वन विभाग की टीम ने बारनवापारा क्षेत्र में घुसे दो शिकारियों बंटी कुमार मैथ्यूज (कसडोल) और सुरेंद्र फरमान दास (कोरबा) को पकड़ा था। इनके पास से एयरगन, टॉर्च और मोबाइल समेत अन्य सामग्री जब्त की गई थी।
एक महीने में दूसरी बड़ी कार्रवाई
यह मामला बीते एक महीने में रेंज स्तरीय फ्लाइंग टीम की दूसरी बड़ी सफलता है। इससे पहले 29 अप्रैल को दो अन्य शिकारियों — फराज और नियाद — को हिरण-चीतल के दो सींगों के साथ रायपुर से गिरफ्तार किया गया था।
चार साल में 220 हिरणों का शिकार
प्रदेश में पिछले चार वर्षों के भीतर हिरण शिकार के 220 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इन मामलों में कई आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई है, जिससे स्पष्ट होता है कि वन्य जीव संरक्षण की दिशा में अब सख्त निगरानी और ठोस कार्रवाई की जरूरत है।
वन विभाग लगातार कार्रवाई करते हुए अंधविश्वास और तस्करी की इस कड़ी को तोड़ने की कोशिश कर रहा है, लेकिन जब तक स्थानीय लोगों में जागरूकता और कानून का भय नहीं होगा, तब तक यह सिलसिला थमने की उम्मीद कम है।
