अरपा नदी में अवैध रेत खनन का खुलासा: रिवर व्यू रोड की आड़ में 60 करोड़ की लागत बढ़ी


 

बिलासपुर की जीवनरेखा मानी जाने वाली अरपा नदी इन दिनों गहरे संकट में है। रिवर व्यू रोड निर्माण परियोजना के नाम पर बड़े पैमाने पर रेत खनन हो रहा है, जिससे नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ता जा रहा है। पेंड्रा के अमरपुर से लेकर बिलासपुर तक नदी का अधिकांश हिस्सा पहले से ही सूखा पड़ा है, और अब निर्माण कार्य की आड़ में हो रही अवैध खुदाई ने हालात को और बदतर कर दिया है।

निर्माण के बहाने खनन

बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा मेसर्स गणपति इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को नदी के दोनों किनारों पर सड़क निर्माण का ठेका दिया गया था। इस परियोजना के तहत एक किनारे पर 2000 मीटर और दूसरी तरफ 1800 मीटर लंबी सड़क बनाई जानी है। शुरुआत में इस योजना की लागत 100 करोड़ रुपए आंकी गई थी, लेकिन कार्य में देरी और विभिन्न तकनीकी बदलावों के चलते अब यह लागत 160 करोड़ रुपए से अधिक पहुंच चुकी है।

स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों का आरोप है कि ठेकेदार कंपनी सिल्ट हटाने के नाम पर अवैध रेत खनन कर रही है। मौके पर गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिससे केवल नदी की पारिस्थितिकी प्रभावित हो रही है, बल्कि भूजल स्तर पर भी इसका असर दिखने लगा है।

अधिकारियों का पक्ष

नगर निगम के कार्यपालन अभियंता अनुपम तिवारी का कहना है कि ठेकेदार को जलभराव की समस्या से निपटने के लिए सिल्ट हटाने और जमीन समतल करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ठेकेदार को रेत निकालने की सीमित अनुमति है, लेकिन निकाली गई रेत की रॉयल्टी खनिज विभाग को देनी होगी

हालांकि, मौके पर देखा गया कि निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक खुदाई हो रही है। रेत के बड़े-बड़े टीले और खुदाई के गहरे गड्ढे इस बात का प्रमाण हैं कि परियोजना के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है।

पर्यावरणविदों की चिंता

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह गतिविधि इसी तरह चलती रही, तो आने वाले वर्षों में अरपा नदी पूरी तरह से जलविहीन हो सकती है। नदी की तलहटी में बनते गड्ढे जल संचयन में बाधा बन रहे हैं, जिससे ग्रामों और शहरी इलाकों में जल संकट गहराने की आशंका है।

स्थानीय लोगों का विरोध

वहीं, नदी के आसपास रहने वाले ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन ठेकेदारों के हितों की रक्षा कर रहा है, जबकि नदी के संरक्षण की अनदेखी की जा रही है। कई स्थानों पर लोकल युवाओं द्वारा प्रदर्शन भी किए गए हैं और खनन कार्य को रोकने की मांग की जा रही है।

आगे क्या?

प्रशासन की ओर से अभी तक किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। नगर निगम की ओर से केवल निर्देशात्मक बातें कही जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। अगर समय रहते रेत खनन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो अरपा नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।

अब देखना यह है कि क्या शासन-प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लेता है या फिर रिवर व्यू रोड के नाम पर अरपा नदी की आहूति दे दी जाएगी।


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